{1}
तेरी अकड़ जाती नहीं “,” दुनियांदारी को कैसे निभाओगे ” ?
‘रिस्ते’ तो” तभी ठहरते हैं”,”जब इंसान झुकना सीख जाता है ”
{2}
“तुमने ‘स्नान’ और ‘श्रंगार’ करके ” “शरीर तो खूबसूरत बना लिया” ,
“आंतरिक ऊर्जा कितनी अव्यवस्थित है”,”इस पर ध्यान बिलकुल नहीं”
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“गम छिपाने का पूरा प्रयास करते हैं”,”किसी को भी हवा नहीं लगती” ,
“दिल बड़ा बेईमान है ” “, दर्द की टीस को अक्सर उभार देता है ” |
{4}
“मोती कीचड़ में गिरा जरूर है” ,” कीमत नहीं घटती कभी “
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“ना किसी से ईर्ष्या ना किसी से होड “,
“अपनी-अपनी मंज़िलें”,”अपनी-अपनी दौड़” ,
“आया है इस दुनियाँ में”, “तो कुछ कर जा “,
“मरना तो निश्चित है ,सत्कर्म की हांडी भर जा” |