Home कविताएं “प्रेरणादायक छंद “

“प्रेरणादायक छंद “

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[1]

‘जब औरों के मुस्कराने की वजह’ 
‘तुम बनने लग जाओगे ‘,
‘समझ लेना किस्मत अच्छी है’ ,
‘प्रभू मेहरबान है तुझ पर ‘|

[2]

‘कुछ  देना  है  तो ‘दान ‘ दो’ ,’ लेना  है  तो ‘ज्ञान’ का  दामन  पकड़ ,’
‘अभिमान’ त्याग कर ‘सर्वश्रेष्ठ’ बन,प्रभु मेहरबान हो जाएगा तुझ पर ‘

[3]

‘चलो कर्ज़ में डूबें’ ,
‘एक दिन माफ हो ही जाएगा ,’
‘जब हराम का मिल जाएगा’ ,
‘काम किसलिए करना ‘?

[4]

‘सदा माँ-बाप बताते थे’ ,
‘हम कहाँ पैदा हुए’ ,
‘अब अदालत बताएगी’ ,
‘कहाँ पैदा हुए थे हम ‘|

[5]

‘बर्दास्त  करने  की  कुव्वत  बढ़ाओ ,क्रोध  को  त्यागो ,’
ऐ  मानव ! मत  भटक , यही  जीवन  का  मूलमंत्र  है ‘,
‘क्रोध  की  अग्नि पनपने नहीं देती,खोखला बनाती है ‘,
‘अनुभवों  से  सीखो , हर किसी  को  स्नेह  से  नवाजों ‘|

[6]

जलन >-
‘दो दिलों का मिलन परवान चढ़ जाए’ ,’बहुत कठिन लगता है ‘,
‘ पेड़  पर  बैठे  परिंदों  को  भी ‘ ,’ फुर  से  उड़ा  देते  हैं  लोग ‘|

 

 

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