प्रार्थना का सर्वोत्तम प्रकार ।
दोनों घुटने झुका कर , दोनों हाथ जोड़कर , गर्दन नत करके, भगवान से कुछ मांगना , कुछ अच्छे की आशा करना,’ प्रार्थना नहीं है ‘ ।
(1) सकारात्मक सोच और दूसरों के लिए सद्भावना – प्रार्थना है ।
(2) जब अपने किसी मित्र की प्रशंसा करते हैं – प्रार्थना है ।
(3) जब अपने परिवार और अपनों के लिए कुछ अच्छा करते हैं – प्रार्थना है ।
(4) जब अपने प्यारों को मिलकर विदा करते समय कहते हो ‘ गाड़ी धीरे चलाना’ ‘ सुरक्षित घर पहुंचना ‘ -प्रार्थना है ।
(5) जब अपना ‘कीमती समय और ताकत’ दूसरों के हित के लिए प्रयोग करते हो – प्रार्थना है ।
(6) जब दिल से ‘किसी की गलती’ को भूल जाते हैं – प्रार्थना है ।
‘प्रार्थना’ एक स्पंदन है , एक एहसास है , एक सुविचार है , स्नेह की पराकाष्ठा है , मित्रता की परिधि है,
आपसी संबंधों की प्रगाढ़ता है ।’ व्यवहार की नम्रता और मानव मूल्यों का’ ‘उच्चतम शिखर है ‘।