Home कविताएं “प्रभु हमारी सोच को सुधार दो “

“प्रभु हमारी सोच को सुधार दो “

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[1]

मेरी सोच :- 
” बेरोजगारी  के  कारण  आज  बच्चे  भटक  कर  गलत  रास्तों  पर  चलने  लगे  हैं |

अंधी   आर्थिक   दौड़   में   युवक   देश – द्रोही   काम   करने   से   कैसे   बच   पाएंगे ” |

[2]

‘राहें  विकास  की’ ‘बढ़ते  विश्वास  की’ ,’ फिर  भी  कुनबा  डूबा  क्यों ‘ ?
‘देश   में  झूठ  का   बोलबाला  है ” इन  दरिंदों  से  बचा  हमको  खुदा ‘ |

[3]

“हे  प्रभु ! आप  खुशबू  की  तरह  रहते  हो  हर  जगह ‘,
‘महसूस   जरूर  होते  हो  परंतु  दिखते   नहीं   कभी  ” |

[4]

‘भविष्य  में जीना’ या ‘भविष्य की आशा  करना’ ही ‘तनाव  का कारण  है’ ,
‘एक बार असफल होते ही हम’ ‘असामान्य  स्थिति का अनुभव  करते  हैं’ ,
‘तनाव  की  मान्यताओं  को  बदलो ‘, ‘ जीवन  की  सही  राह  को  पकड़ो ‘ ,
‘दर्द जब साधारण लगता है’, ‘ईलाज कराते  ही नहीं’,’बस  चलते  जाते  है ‘|

[5]

‘बिना  कुछ  करे  कुछ  नहीं  मिलता  किसी  को  जान  लो ‘,
‘कड़ी धूप में चलने पर ही ,खुद  का  साया  दिखाई  देता  है ‘ |

[6]

 ‘कृपया विचार करें ‘:-
‘शादी – विवाह  पर  शगुन  हेतु’  ‘हम  एक  लिफाफा  जरूर  देते   हैं ‘ ,
‘बीमारी  में  मदद  ज्यादा  जरूरी  है ‘,’ हम  मिलने  भी  नहीं  जाते ‘,
‘कृपया समीक्षा करें’ ‘क्या यह हमारी उचित मनस्थिति का दर्पण है’ ,
‘यदि नहीं ‘! ‘तो प्राण करें’,’जरूरतमन्द को ही लिफाफा दिया जाए’ |

[7]

‘सबको परमात्मा स्वरूप समझ कर’ ‘मन’ ‘क्रम’ ‘वाणी ‘ से ‘सम्मान करो’ ,
”सम्मान करने में कंजूसी क्यों ‘? ‘ इससे ‘आयु’ ,’ विदद्या ‘ ‘यश’  बढ़ता  है ‘,
”प्रेम’ ‘त्याग’ व ‘ सहानुभूति ‘ से ‘ जन – मानस का विश्वास जीत सकते हो ‘,
‘समय साक्षी  है’ ‘-ऐसा मानव – सभी  के  लिए सम्माननीय  बन  जाता  है ‘”|

[8]

‘सुना है हाथ की लकीरें अच्छी न हों ‘ ‘तो किस्मत साथ  नहीं  देती ‘,
‘मगर माँ-बाप का स्नेही हाथ सिर पर हो’,’लकीरें रास्ता बदल देंगी ‘|

[9]

‘बुरे पल’-‘ ज्यादा  मेहनत  करने  का  इशारा  करते  हैं’ ,
‘अच्छे  पल ‘-‘ आगे  बढ़ने  का  मौका  परोसते  हैं  सदा ‘,
‘सोच  में  बदलाव’ ‘निश्चित  बुरे  पलों  को  टाल  देते  हैं’ ,
‘आओ प्राण करें’-‘संकीर्णता छोड़ेंगे सकारात्मक सोचोंगे’ |

[10]

‘अपने  कार्य  में  खुद  को  इतना  डुबाओ ‘ ‘ दूसरे  की  बुराई  का  मौका  ही  न  मिले ‘,
‘यदि सभी  प्राणी  इस  दिशा  में  बढ़  गए  तो ‘ ‘उन्नति  के  द्वार  खुद  खुलते जाएंगे ‘ ।’ |

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