जय बजरंग बली जय बजरंग बली जय बजरंग बली ऊं शं शनिश्चराए नमः जय बजरंग बली जय बजरंग बली।
सौजन्य अमर उजाला।
टाल्सटाय ने एक कहानी लिखी है।
एक बाप की तीन बेटियां हैं,
तीनों की अलग-अलग जगह शादी हो गई है।
एक लड़की किसान के घर है,
एक लड़की एक कुम्हार के घर है,
एक लड़की एक जुलाहे के घर है,
जो कपड़े बुनता और रंगता है।
वर्षा आने के दिन हैं, लेकिन वर्षा नहीं आई।
कुम्हार बड़ा खुश है,
उसकी पत्नी भगवान को धन्यवाद दे रही है
कि भगवान तेरा धन्यवाद! क्योंकि हमारे
सब घड़े बनाए हुए रखे थे,
अगर वर्षा आ गई तो हम मर जाएंगे।
एक आठ दिन पानी रुक जाए,
तो हमारे सब घड़े पक जाएं और बाजार चले जाएं।
लेकिन किसान की पत्नी बड़ी परेशान है।
क्योंकि खेत तैयार है और पानी नहीं गिर रहा।
और अगर आठ दिन की देर हो गई तो
फिर फसल बोने में देरी हो जाएगी।
और फिर बड़ा मुश्किल हो जाएगा।
वैसे ही बहुत देर हो गई है और सब मुश्किल है।
वह भगवान से रोज कह रही है कि हे भगवान,
तू यह कर क्या रहा है? हमारे बच्चे भूखे मर जाएंगे।
तू पानी जल्दी गिरा!
वह तीसरी लड़की है, वह जुलाहे के घर है।
उसके कपड़े तैयार हो गए हैं,
उसने रंग कर लिया है।
और वह भगवान से कहती है, अब तेरी मर्जी।
चाहे आज गिरा, चाहे कल गिरा,
अब हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है!
यानी अब कोई बात नहीं है।
क्योंकि उसका काम पूरा हो गया है,
उसकी तैयारी पूरी हो गई है।
उसने काम अपने घर में समेट लिया है।
और वह हाथ जोड़ कर भगवान से कहती है,
अब तेरी मर्जी! अब आज गिरा या कल,
हमारा काम पूरा हो गया। हर हालत में हम खुश हैं।
अब पानी आज गिरे कि कल, कोई फर्क नहीं पड़ता है!
कहानी में भगवान अपने देवताओं
से पूछता है कि बोलो, मैं क्या करूं?
मैं किसकी इच्छा पूरी कर दूं?
और भगवान कहता है, ये तो सिर्फ तीन लोग हैं,
अगर सारी पृथ्वी के लोगों की इच्छाएं
पूछी जाएं और सब पूरी कर दी जाएं,
तो इसी वक्त पृथ्वी समाप्त हो जाए–इसी वक्त!
हमारी इच्छाएं और हमारी इच्छाओं
की दौड़ और हम उनसे क्या पाना चाह रहे हैं,
हमें कुछ भी पता नहीं है।
लेकिन भ्रांति चलती चली जाती है,
क्योंकि हमारा खयाल यह होता है
कि दुख मिल रहा है इसलिए कि इच्छा पूरी नहीं हुई;
सुख मिलता, अगर इच्छा पूरी हो जाती।
लेकिन जो गहरे इस विचार में उतरेगा,
उसे पता चल जाएगा, कोई इच्छा की
पूर्ति सुख नहीं ला सकती और बड़ा दुख लाती है।
अपूर्ति इतना दुख ला रही है तो पूर्ति कितना लाती!
गणित ऐसा समझना चाहिए।
नहीं पूरा हुआ तो इतना दुख मिल रहा है,
पूरा हो जाता तो कितना दुख मिलता!
क्योंकि जब बीज को कम सुविधा मिली,
तब वह इतना जहरीला फल ले आया,
पूरी सुविधा मिलती तो कितना जहर लाता!
कितना जहर लाता!
प्रत्येक इच्छा दुख में ले जाती है,
लेकिन सुख में ले जाने का आश्वासन देती है!
प्रत्येक नाव दुख की है, लेकिन सुख के
घाट पर उतार देने का वचन है!
ओशो , महावीर मेरी दृष्टि में, प्रवचन -24
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