#प्रणाम का महत्व !!!! ऊँ बृहस्पतियाय नमः
महाभारत का युद्ध चल रहा था –
एक दिन दुर्योधन के व्यंग्य से आहत हो कर ” भीष्म पितामह ” घोषणा कर देते हैं कि –
“मैं कल पांडवों का वध कर दूँगा”
उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों में बेचैनी बढ़ गई |
भीष्म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्ट की आशंका से परेशान हो गए |
तब –
श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो –
श्री कृष्ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्म पितामह के शिविर में पहुँच गए –
शिविर के बाहर खड़े हो कर उन्होंने द्रोपदी से कहा कि – अन्दर जाकर पितामह को * प्रणाम करो –
द्रौपदी ने अन्दर जा कर पितामह भीष्म को *प्रणाम* किया तो उन्होंने – ” अखंड सौभाग्यवती भव ” का आशीर्वाद दे दिया , फिर उन्होंने द्रोपदी से पूछा कि !!
“वत्स , तुम इतनी रात में अकेली यहाँ कैसे आई हो , क्या तुमको श्री कृष्ण यहाँ ले कर आये है ” ?
तब द्रोपदी ने कहा कि -” हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं ” तब भीष्म भी कक्ष के बाहर आ गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रणाम किया –
भीष्म ने कहा -” मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते है “
शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि –
” तुम्हारे एक बार जा कर पितामह को *प्रणाम* करने से तुम्हारे पतियों को जीवन दान मिल गया है ” –
” अगर तुम प्रतिदिन भीष्म , धृतराष्ट्र , द्रोणाचार्य , आदि को और दुर्योधन – दुःशासन , आदि की पत्नियां भी पांडवों को *प्रणाम* करती होंती, तो शायद इस युद्ध की नौबत ही न आती ” –
……तात्पर्य्……
वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्याए हैं उनका भी मूल कारण यही है कि –
“जाने अनजाने अक्सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है |
” यदि घर के बच्चे और बहुएँ प्रतिदिन घर के सभी बड़ों को प्रणाम कर उनका आशीर्वाद लें तो , शायद किसी भी घर में कभी कोई क्लेश न हो “
बड़ों के दिए आशीर्वाद कवच की तरह काम करते हैं उनको कोई ” अस्त्र-शस्त्र ” नहीं भेद सकता –
“निवेदन सभी इस संस्कृति को सुनिश्चित कर नियमबद्ध करें तो घर स्वर्ग बन जाय ।”
क्योंकि:-
# प्रणाम प्रेम है ।
# प्रणाम अनुशासन है ।
# प्रणाम शीतलता है ।
*# प्रणाम आदर सिखाता है ।
# प्रणाम से सुविचार आते है ।
*# प्रणाम झुकना सिखाता है ।
*# प्रणाम क्रोध मिटाता है ।
*# प्रणाम आँसू धो देता है ।
# प्रणाम अहंकार मिटाता है ।
# प्रणाम हमारी संस्कृति है ।
ई.राम मोहन उपाध्याय ( जीवन पंडित )