–—-कटाक्ष —
प्रिय देशवासियों ,
जो काम हम रोज़ करते जा रहें हैं वो उच्च स्तर पर किए जा रहे हैं
फिर भी देश पता नहीं कैसे चल रहा है ? :-
निम्न लिखित कार्यों मे और तेजी की जरूरत है तभी देश की सेहत ठीक होगी :-
कल का तापमान 46 डिग्री हुआ…
आइए हम सब मिल के अब 55 डिग्री का लक्ष्य लेकर चलें ।
– और अधिक पेड़ काटें ।
– सड़कें चौड़ी करें ।
– चारो तरफ सीमेंट के जंगल खड़े करें
– सभी पब्लिकेशन के अखबार मंगाए ताकि बांस-पेड़ समाप्त हो जाएं
– बहूत सारे टूय्ब वेल खोदें
– खूब प्लास्टिक प्रयोग करें
– नदियों में रोज कचरा डालें
– रात-दिन ऐ सी चलाऐं
– आटोमोबाइल्स को 24 घंटे चालू रखे,
– पानी सिर्फ आर ओ का पियें और खूब पानी बहाएं
– साईकिल पर प्रतिबंध लगवा दें
– देश में धुंवा व प्रदुषण पैदा करें
– वह सभी कार्य करे जिससे ओजोन छिद्र अपने जीवनकाल में खूब बड़ा हो जाय
– खूब डिस्पोजेबल सामान का प्रयोग करें।
– रोज सुबह शाम पाइप लगा कर पीने के पानी से घर के सामने की सड़क धोएं ,
-कार को रोज स्नान करवाए,
-पम्प चलाकर भूल जाये जबतक पड़ोसी आकर न कहे पम्प बन्द न करें ।
–प्रदूषण फैलाने के सारे मन्त्र आजमाए | अपनी पूरी भंडास निकालें |
“बेड़ा गर्क तो ठंडी सड़क ” के फार्मूले पर चलें | जीवन बचाने की जो भी
प्रक्रिया देश में है उसे निष्क्रिय करते चलें | हम सभी देश के भविष्य हैं
हमसे अच्छा देश हित में और कौन सोच सकता है ?
व नई पीढ़ी के लिए संदेश छोड़कर जाएं
“पूत सपूत तो क्यों जल संचय “