*पुण्यों का मोल*
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एक व्यापारी जितना अमीर था उतना ही दान-पुण्य करने वाला , वह सदैव यज्ञ-पूजा आदि कराता रहता था।
एक यज्ञ में उसने अपना सब कुछ दान कर दिया। अब उसके पास परिवार चलाने लायक भी पैसे नहीं बचे थे ।
व्यापारी की पत्नी ने सुझाव दिया कि पड़ोस के नगर में एक बड़े सेठ रहते हैं । वह दूसरों के पुण्य खरीदते हैं ।
आप उनके पास जाइए और अपने कुछ पुण्य बेचकर थोड़े पैसे ले आइए , जिससे फिर से काम- धंधा शुरू हो सके ।
पुण्य बेचने की व्यापारी की बिलकुल इच्छा नहीं थी , लेकिन पत्नी के दबाव और बच्चों की चिंता में वह पुण्य बेचने को तैयार हुआ । पत्नी ने रास्ते में खाने के लिए चार रोटियां बना कर दे दीं ।
व्यापारी चलता-चलता उस नगर के पास पहुंचा जहां पुण्य के खरीदार सेठ रहते थे । उसे भूख लगी थी ।
नगर में प्रवेश करने से पहले उसने सोचा भोजन कर लिया जाए। उसने जैसे ही रोटियां निकालीं एक कुतिया तुरंत के जन्मे अपने तीन बच्चों के साथ आ खड़ी हुई ।
कुतिया ने बच्चे जंगल में जन्म दिए थे । बारिश के दिन थे और बच्चे छोटे थे , इसलिए वह उन्हें छोड़कर नग र में नहीं जा सकती थी ।
व्यापारी को दया आ गई । उसने एक रोटी कुतिया को खाने के लिए दे दिया ।
कुतिया पलक झपकते रोटी चट कर गई लेकिन वह अब भी भूख से हांफ रही थी ।
व्यापारी ने दूसरी रोटी , फिर तीसरी और फिर चारो रोटियां कुतिया को खिला दीं। खुद केवल पानी पीकर सेठ के पास पहुंचा ।
व्यापारी ने सेठ से कहा कि वह अपना पुण्य बेचने आया है । सेठ व्यस्त था । उसने कहा कि शाम को आओ ।
दोपहर में सेठ भोजन के लिए घर गया और उसने अपनी पत्नी को बताया कि एक व्यापारी अपने पुण्य बेचने आया है । उसका कौन सा पुण्य खरीदूं ।
सेठ की पत्नी बहुत पतिव्रता और सिद्ध थी । उसने ध्यान लगा कर देख लिया कि आज व्यापारी ने कुतिया को रोटी खिलाई है ।
उसने अपने पति से कहा कि उसका आज का पुण्य खरीदना जो उसने एक जानवर को रोटी खिला कर कमाया है । वह उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ पुण्य है ।
व्यापारी शाम को फिर अपना पुण्य बेचने आया । सेठ ने कहा – आज आपने जो यज्ञ किया है मैं उसका पुण्य लेना चाहता हूं ।
व्यापारी हंसने लगा । उसने कहा कि अगर मेरे पास यज्ञ के लिए पैसे होते तो क्या मैं आपके पास पुण्य बेचने आता !
सेठ ने कहा कि आज आपने किसी भूखे जानवर को भोजन कराकर उसके और उसके बच्चों के प्राणों की रक्षा की है । मुझे वही पुण्य चाहिए ।
व्यापारी वह पुण्य बेचने को तैयार हुआ । सेठ ने कहा कि उस पुण्य के बदले वह व्यापारी को चार रोटियों के वजन के बराबर हीरे- मोती देगा ।
चार रोटियां बनाई गईं और उसे तराजू के एक पलड़े में रखा गया । दूसरे पलड़े में सेठ ने एक पोटली में भर कर हीरे-जवाहरात रखे।
पलड़ा हिला तक नहीं । दूसरी पोटली मंगाई गई । फिर भी पलड़ा नहीं हिला ।
कई पोटलियों के रखने पर भी जब पलड़ा नहीं हिला तो व्यापारी ने कहा – सेठजी , मैंने विचार बदल दिया है . मैं अब पुण्य नहीं बेचना चाहता ।
व्यापारी खाली हाथ अपने घर की ओर चल पड़ा । उसे डर हुआ कि कहीं घर में घुसते ही पत्नी के साथ कलह न शुरू हो जाए ।
जहां उसने कुतिया को रोटियां डाली थी , वहां से कुछ कंकड़-पत्थर उठाए और साथ में रख कर गांठ बांध दी ।
घर पहुंचने पर पत्नी ने पूछा कि पुण्य बेचकर कितने पैसे मिले तो उसने थैली दिखाई और कहा इसे भोजन के बाद रात को ही खोलेंगे । इसके बाद गांव में कुछ उधार मांगने चला गया ।
इधर उसकी पत्नी ने जब से थैली देखी थी उसे सब्र नहीं हो रहा था । पति के जाते ही उसने थैली खोली ।
उसकी आंखे फटी रह गईं । थैली हीरे-जवाहरातों से भरी थी ।
व्यापारी घर लौटा तो उसकी पत्नी ने पूछा कि पुण्यों का इतना अच्छा मोल किसने दिया ? इतने हीरे -जवाहरात कहां से आए ??
व्यापारी को अंदेशा हुआ कि पत्नी सारा भेद जान कर ताने तो नहीं मार रही लेकिन , उसके चेहरे की चमक से ऐसा लग नहीं रहा था ।
व्यापारी ने कहा – दिखाओ कहां हैं हीरे-जवाहरात । पत्नी ने लाकर पोटली उसके सामने उलट दी । उसमें से बेश कीमती रत्न गिरे । व्यापारी हैरान रह गया ।
फिर उसने पत्नी को सारी बात बता दी । पत्नी को पछतावा हुआ कि उसने अपने पति को विपत्ति में पुण्य बेचने को विवश किया ।
दोनों ने तय किया कि वह इसमें से कुछ अंश निकाल कर व्यापार शुरू करेंगे । व्यापार से प्राप्त धन को इसमें मिला कर जन-कल्याण में लगा देंगे ।
ईश्वर आपकी परीक्षा लेता है । परीक्षा में वह सबसे ज्यादा आपके उसी गुण को परखता है जिस पर आपको गर्व हो ।
अगर आप परीक्षा में खरे उतर जाते हैं तो ईश्वर वह गुण आपमें हमेशा के लिए वरदान स्वरूप दे देते हैं ।
अगर परीक्षा में उतीर्ण न हुए तो ईश्वर उस गुण के लिए योग्य किसी अन्य व्यक्ति की तलाश में लग जाते हैं ।
इसलिए विपत्तिकाल में भी भगवान पर भरोसा रखकर सही राह चलनी चाहिए । आपके कंकड़-पत्थर भी अनमोल रत्न हो सकते हैं ।
*न डर रे मन दुनिया से*
*यहाँ किसी के चाहने से नहीं*
*किसी का बुरा होता है,*
*मिलता है वही , जो हमने बोया होता है ,*
*कर पुकार उस प्रभु के आगे .. क्योकि सब कुछ उसी के बस में होता है।।*
🌹🙏🏻🚩 *जय सियाराम* 🚩🙏🏻🌹
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