Home कविता ‘पानी किधर से भी गिरे’ ,’प्यार का तालाब’ भरना चाहिए !

‘पानी किधर से भी गिरे’ ,’प्यार का तालाब’ भरना चाहिए !

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‘प्रेम   और   भाई चारा ‘,’शांति   और   अहिंसा ‘  की  अमिट  छाप  डालते   हैं ,

‘माननीय  उदारता  के  घटते  प्रारूप  में’ , ‘धन’  \ही ‘धर्म  का प्रतीक  हो गया है’  ,

‘मानव  को   मानव  से  जोड़ने   का ‘ ‘भागीरथ  प्रयास  सदा   होना  ही  चाहिए’ ,

‘पानी’  ‘इधर  से  बहे   या   उधर   से’ ,बस  ‘प्यार  का  तालाब ‘ भरना    चाहिए |

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