बहुत वर्ष पूर्व एक बार मैं अपने सपरिवार दिल्ली के अंतेर्राष्ट्रीय बस स्टैंड पर रात के करीब 10-11 बजे के बीच नीचे उतरा|अंतिम बस घर तक ले जाने को तैयार थी | अचानक एक नौजवान तेज़ी से मेरे नजदीक आया और कहा –‘सर , छमा कीजिएगा , मैं आपको एक छोटा सा कष्ट देना चाहता हूँ यदि आप आज्ञा दें तो मैं कुछ कहूँ ‘ अन अपेक्छित व रात्री का समय देख कर मैंने उस व्यक्ति से कहा ,’ बताएं मैं इतनी रात आपके लिए क्या सेवा कर सकता हूँ ?
हिम्मत करके नौजवान ने बताया –‘सर मैं देहारादून से आ रहा हूँ रास्ते में किसी सज्जन व्यक्ति ने मेरी ज़ेब पर हाथ मार कर खाली कर दी है | मेरेपास 1 रुपया भी नहीं है , यदि आप मुझे सिर्फ 2 रुपये दे दें तो मैं अपने कॉलेजके हॉस्टल में आराम से चला जाऊंगा अन्यथा 10 किलोमीटर रात को पैदल चलना बहुत भारी पड जाएगा ‘
देखने में , व्यवहार में , वह सज्जन लग रहा था | मैंने तुरंत उसकी समस्या भांप ली और बिना भूमिका बांधे 2 रुपये का नोट उस सज्जन को दे दिया वह युवक बड़ा नतमस्तक था और शुक्रिया अदा करने लगा |बस अंतिम थी, तुरंत वह जवान बस में चढ़ गया और हम भी अपने गन्तव्य स्थान पर चले गए |
इस घटना के 10-11 वर्ष पश्चात एक बार मैं देहारादून में शाम के 5 बजे के करीब बस की इंतज़ार में सड़क पर अपने एक मित्र के साथ खड़ा था | अचानक एक लम्बा मोटी मुछों वाला व्यक्ति नजदीक आया और पैरों को हाथ लगा कर बोल पड़ा,’अंकल,प्रणाम | आपने मुझे पहचाना या नहीं ‘| मैं चकरा गया , सोच ही नहीं पाया कि इस व्यक्ति ने अंकल कह कर पैर छूए और पहचानने का अनुरोध , वो भी प्यार से कर दिया , मैंने उससे कहा ,’दोस्त –शायद तुम कुछ पहचानने में गलती कर रहे हो |मैं आपसे कभी नहीं मिला , न तुम मेरे नजदीक या दूर से कैसे भी , कभी भी संपर्क में नहीं रहे | तुम मुझे अपना समझकर गलती से मिल रहे हो ‘|
यह सुन कर वह व्यक्ति मुस्कराया और कहने लगा, “अंकल –गच्चा खा गएआप | मैं आपसे करीब 10-11 वर्ष पूर्व दिल्ली के अंतेर्राष्ट्रीय बस अड्डे पर मिला था और अपनी मजबूरी बता कर 2 रुपये आपसे लिए थे कॉलेज तक जाने के लिए | सर , उसके पश्चात मैंने दिल्ली से डिग्री प्राप्त की और मैं बन विभाग में आफिसर नियुक्त हो गया और आजकल मैं देहारादून में ही ड्यूटि पर हूँ | कृपया मुझे बताएं आप किस उद्देश्य से यहाँसड़क पर खड़े हैं “|
मैंने बताया कि हम दोनों साथी मुजफ्फरनगर कि बस कि इंतज़ार में खड़े हैं |मैंने तो कभी तक तुम्हें नहीं पहचाना और न ही मुझे कुछ याद है कि कभी मैंने 2 रुपये किसी को दिये थे “| उस व्यक्ति ने पुनः बताया,” अंकल आप तो 10 वर्ष पहले जैसे थे आज भी वैसे ही हो परंतु मैं नौजवान से एक पुरुष बन चुका हूँ , मुछें बढ़ा ली हैं , शादी हो चुकी है ,2 बच्चे भी हैं इसलिए मेरा जुगराफिया बदल चुका है ,इसलिए आप मुझे नहीं पहचान पाये | कोई बात नहीं है | अंकल जी मैं भी उधर ही जा रहा हूँ , मेरे पास मोटर साइकल है , दोनों को बड़े आराम से ले जाऊंगा | आप दोनों मेरे पीछे बैठ जाएँ “|
बहुत बार माना किया , हार कर उस जवान कि मोटर साइकल के पीछे बैठ गए और 2 घंटे में उसने हमें मुजफ्फरनगर घर पर छोड़ दिया | मैंने कुछ नास्ता कराया , उस जवान ने कहा ,” सर ,देर हो गयी है ,मुझे वापिस जाना है , इजाजत दें “| मैंने उससे पूछा ,”कहाँ जाओगे “? उसने कहा—“देहारादून “ | मैं उसकी बात सुनकर चकरा गया | मैंने उससे कहा –“ भाई , तुमने हमारे लिए इतनी उलझन मोल ले ली , ऐसा क्यों किया , अनेक सुविधाएं वहाँ पर थी , हम तो आ ही जाते |
उस व्यक्ति ने कहा, “ अंकल , आप बड़े दिलवाले हो , आप तो परोपकार करके भूल जाते हो , लेकिन मैं भी इतना कंजर्फ नहीं हूँ जो किसी द्वारा मुझ पर किया उपकार भूल जाऊँ | हमेशा मेरे मन में सवाल उठता था काश ! 2 रुपया देने वाले अंकल का पता मालूम होता तो उनका शुक्रिया दिल से अदा कर देता | प्रभु बड़े दयालु हैं उसने मेरी भावना को पहचाना और अचानक आपको मेरे सामने खड़ा कर दिया | मुझे उस उपकार का सद-उपयोग करने का भगवान ने मौका दे दिया , मेरा मन अति-प्रसन्न है और आपसे प्रार्थना है कृपया मुझे आगे भी आपकी सेवा का मौका मिले “ |
कहते है “ परोपकार किसी भी रूप में किया जाए , प्रभु सदा उस प्राणी कि बात को संभाल लेते हैं “ |