
‘जिस परमात्मा ने’ ‘ हमें जीवन दिया है’ , ‘उसका प्रतिदिन धन्यवाद करें’ ,
‘यह परम्परा’ –‘जीवन को सदप्रेरणा’ और ‘ प्रकाश’ से ‘भर देगी तेरे’ ,
‘प्रार्थना करें’- ‘हे परमात्मा’, ‘तेरी महानता’ और ‘दयालुता’ पर ‘हम नतमस्तक हैं’ ,
‘हमें शक्ति दो’, ‘सदबुद्धि दो ‘ ताकि ‘ हम संसार की’ ‘ कुछ सेवा कर सकें ‘ ||