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परमात्मा का स्वरूप !

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“मैं   एक   जिस्म   नहीं   हूँ ‘ , ” मैं  अंश   हूँ   इस   परम   परमात्मा   का “,

“जिसका   कोई   रंग ‘,  ‘नस्ल’ , ‘जाति’ , ‘मजहब’   आदि   कुछ   भी   नहीं ,

‘ वो’ ‘निरोग’ , ‘निरूपम’ , ‘निर्मल’ , ‘काल   से  ऊपर’ , ‘कहीं  बंधा  नहीं  है’ ,

‘जिसे ‘ ‘अग्नि  जलाए  नहीं’ , ‘वायु  उड़ाए  नहीं’ , ‘असीम  है’ ,’रचयिता  है’ ,

‘निराकार   है’  , ‘सृष्टि  का  रचनाकर   है ‘ ,’ कलाकार  है ‘ ,’ चेतन  सत्ता  है ‘ ,

‘निराकार  है ‘ ,’ ऊर्जा   है ‘ , ‘आत्मा   है’  , ‘आत्मबोध   है’ , ‘ परमात्मा   है ‘ |

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