(1) ‘न मैं बदला ‘ ,’ न तू बदला’ , ‘बता देश कैसे बदल जाएगा’ ?
ओछी सोच , तुच्छ विचार , एक मैली चादर ओढ़े हैं सभी ,
‘सारे चने जब पक जाएंगे’ , ‘शायद तभी बाहर निकल पाएंगे ‘,
‘देश अंगड़ाई ले लेगा ‘, ‘नए सूरज-चाँद उभर आयेंगे इस देश में ‘ |
(2) ‘ देश की आबोहवा पर’ ‘दनादन कैची ‘ चलाई जा रही है आजकल ,
‘लूट-खसौट’ , ‘आतंकवाद’ ,’प्रदूषण’ , ‘संकर्मण’ ‘फैला हुआ है देश मैं ‘चंहुओर ,
‘बलात्कार’ , ‘ गुंडागर्दी’ , ‘ काम चोरी ‘, ‘ बेईमानी’ – ‘ क्या नहीं है देश मैं ?
‘सूरदास ‘ ने तो ‘प्यार’ से ‘ बांधा हमें ‘, ‘देख कर भी अंधी बनी सरकार अब ‘|