[1]
जरा सोचो
‘छोटी बाधाओं’ की ‘उपेक्षा’ उचित नहीं , तुरंत ‘समाधान’ तलाशो,
‘छोटी’ को ‘बड़ी’ होने में देर नहीं लगती, ‘सावधानी हटी दुर्घटना घटी’ !
[2]
जरा सोचो
आती हुई ‘मुसीबत’ का ‘शुक्रिया’ अदा करके ‘मुस्कुराते’ रहो,
वह ‘दर्दों’ को भगा कर ‘जीने का सबक’ पेश कर देगी !
[3]
जरा सोचो
किसी से ‘अपेक्षा’ करके अपनी ‘उपेक्षा’ करवाना उचित नहीं ,
इस ‘ दंश ‘ से बचा रहना ही ‘भले आदमी ‘ की पहचान है |
[4]
जरा सोचो
न कभी ‘नाराज़’ हो न किसी को ‘ नाराज’ करो ,
सदा ‘मुस्कराओ’, ‘औरों’ को भी ‘ मुस्कराने ‘ दो |
[5]
जरा सोचो
दूसरों की ‘समस्या’ हल करना ,’ हुनर’ है आपका ,
चलो | ‘ कुछ और कोशिश करें’ , ‘कुछ और अच्छा बनें’ |
[6]
जरा सोचो
आपको निराश नहीं होना चाहिए अगर आप सोचते हैं ‘जो आप औरों के लिए अच्छा करते हैं , वो भी वैसा ही करें’
क्योंकि हर व्यक्ति आपके जैसा दिल नहीं रखता |
[7]
‘अपने हो’ तभी अपनों की ‘ हैसियत’ नाप कर ‘आपसदारी’ निभाते हो ,
‘पड़ौसी’ होते तो ‘पड़ौसी -धर्म’ भी निभाते, ‘सहायक’ बन कर भी खड़े होते |
[8]
अपनी ‘छमताओं , योग्यताओं और संपदाओं ‘ को ‘समाज’ हित में लगाएँ ,
आपका ‘त्याग, दान, परोपकार’ , ‘उत्सर्ग’ ,जीवन को ‘परिपूर्ण’ बनाते हैं |
[9]
बिना समझे ‘ विश्वास ‘ , ‘अयोग्यता ‘ का परिचायक है ,
‘बिना विचारे जो करे, फिर पीछे पछताय’ ‘हकीकत’ है |
[10]
न नाराज़ हो न किसी को नाराज़ करो , खुद खुश रहो सबको खुश करो ,
कुछ ‘पलों’ का ‘मेला’ है ,’ सही जी लो’ औरों को ‘जीना’ सीखाते रहो
[11]
‘कुछ पाने की प्यास’ , फिर ‘उसकी यात्रा’ का नाम ‘सफलता’ है ,
क्या करेंगे वो ? जो ‘असफलता के भय’ से ‘शांत’ बैठ जाते हैं |