‘जो किसी की निंदा करता है ‘ ‘ कीचड़ उछालता है ‘ ,
‘वह कुछ नहीं करता ‘ बस ‘अपना मुंह काला करता है’ ,
‘अहम मे चूर ‘ हो ‘वह दूसरों की निंदा ‘ मे ‘ लिप्त रहता है’ ,
‘यही सोच ‘ ‘देखते ही देखते’ ‘अभिशाप बन जाएगा’ उसके लिए’
‘जो किसी की निंदा करता है ‘ ‘ कीचड़ उछालता है ‘ ,
‘वह कुछ नहीं करता ‘ बस ‘अपना मुंह काला करता है’ ,
‘अहम मे चूर ‘ हो ‘वह दूसरों की निंदा ‘ मे ‘ लिप्त रहता है’ ,
‘यही सोच ‘ ‘देखते ही देखते’ ‘अभिशाप बन जाएगा’ उसके लिए’
Login