‘नम्रता और मधुरता ‘ का जादू हमेशा चलता है
( एक प्रेरक कहानी )
एक राजा था उसने एक सपना देखा ! सपने में उसको एक परोपकारी साधु कह रहा था कि बेटा कल रात को तुम्हें एक विषैला सांप काटेगा और उसके काटने से तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी !
वह सर्प अमुक पेड़ की जड़ में रहता है वह तुमसे पूर्व जन्म की शत्रुता का बदला लेना चाहता है !
सुबह हुई , राजा सो कर उठा और अपनी आत्मरक्षा के लिए क्या उपाय करना चाहिए ? इसे लेकर विचार करने लगा ! सोचते -सोचते राजा एक निर्णय पर पहुंचा की ” मधुर व्यवहार ” से बढ़कर शत्रु को जीतने वाला और कोई हथियार इस पृथ्वी पर नहीं है !
उसने सर्प के साथ मधुर व्यवहार करके उसका मन बदल देने का निश्चय किया ! शाम होते ही राजा ने उस पेड़ की जड़ से लेकर अपनी सैया तक फूलों का बिछोना भिजवा दिया ! सुगंधित जल का छिड़काव करवाया ! नीचे दूध के कटोरे जगह-जगह लगवा दिए और सेवकों से कह दिया कि रात को जब वह निकले तो कोई उसे किसी प्रकार कष्ट पहुंचाने की कोशिश ना करें !
रात को सांप अपनी बाम्बी के बाहर निकला और राजा के महल की तरफ चल दिया ! वह जैसे आगे बढ़ता गया , अपने लिए की गई स्वागत व्यवस्था को देखकर आनंदित होता गया !
कोमल बिछोने पर लेटता हुआ मन भावनी सुगंध का रसास्वादन करता हुआ , जगह-जगह पर मीठा दूध पीता हुआ आगे बढ़ता था ! इस तरह क्रोध के स्थान पर संतोष और प्रसन्नता के भाव उसके अंदर बढ़ने लगे जैसे जैसे आगे चलता गया वैसे ही वैसे उसका क्रोध कम होता गया !
राज महल में जब वह प्रवेश करने लगा तो देखा कि प्रहरी और द्वारपाल सशस्त्र खड़े हैं परंतु उसे जरा भी हानि पहुंचाने की चेष्टा नहीं कर रहे हैं ! यह असाधारण से लगने वाले दृश्य देखकर आपके मन में स्नेह उमड़ पड़ा !
‘सद- व्यवहार , नम्रता और मधुरता ‘ के जादू ने उसे मंत्रमुग्ध कर दिया था ! कहां वह राजा को काटने वाला था परंतु अब उसके लिए अपना कार्य असंभव हो गया ! हानि पहुंचाने के लिए आने वाले शत्रु के साथ जिसका ऐसा मुझसे व्यवहार है वह धर्मात्मा राजा को कार्टू तो किस प्रकार कार्टू ? इसके चलते वह दुविधा में पड़ गया !
राजा के पलंग तक पहुंचने तक सांप का निश्चय पूरी तरह से बदल गया ! उधर समय से कुछ देर बाद सांप राजा के शयनकक्ष में पहुंचा !
सांप ने राजा से कहा ! ” राजन , मैं तुम्हें काट कर पूर्व जन्म का बदला चुकाने आया था परंतु तुम्हारे स्नेह , नम्रता और सद व्यवहार ने मुझे परास्त कर दिया !
अब मैं तुम्हारा शत्रु नहीं मित्र हूं ! मित्रता के उपहार स्वरूप अपनी बहुमूल्य मणि मैं तुम्हें दे रहा हूं ! लो इसे अपने पास रखो ! इतना कह कर ‘ मणि ‘ ‘ राजा के सामने रखकर सांप चला गया !
यह महज एक कहानी नहीं जीवन की सच्चाई है !’ अच्छा व्यवहार’ कठिन से कठिन कार्यों को सरल बनाने का माद्दा रखता है !
यदि व्यक्ति व्यवहार – कुशल है तो वह सब कुछ पा सकता है जो पाने की वह हार्दिक इच्छा रखता है !