
‘नकारात्मक सोच’ ‘ इंसान को’ ‘ खत्म कर डालती ‘ है ,
‘सकारात्मक सोच’, ‘हमारे स्वपनों’ को ‘ज़िंदा’ रखती है |
‘नकारात्मक सोच’ ‘ इंसान को’ ‘ खत्म कर डालती ‘ है ,
‘सकारात्मक सोच’, ‘हमारे स्वपनों’ को ‘ज़िंदा’ रखती है |
‘कामयाबी पर गुमान’ , ‘शेर-दिल ‘ को भी ‘गुमनामी मे ‘ धक…
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