“ध्यान” ‘वो विधा है जिससे’ ‘हमारी आत्मा में निखार आता है’ ,
‘परंतु वर्तमान युग’- ‘घोर अशांति और आपाधापी से भरा है ‘ ,
‘मनुष्य ने सब कुछ पा लिया ‘, ‘पर मन अभी तक अशांत है’ ,
‘क्या पथिक को ‘ ‘पेड़ की छांव ‘,’ कुएं का पानी ‘,’ नसीब होगा ‘ |
“ध्यान” ‘वो विधा है जिससे’ ‘हमारी आत्मा में निखार आता है’ ,
‘परंतु वर्तमान युग’- ‘घोर अशांति और आपाधापी से भरा है ‘ ,
‘मनुष्य ने सब कुछ पा लिया ‘, ‘पर मन अभी तक अशांत है’ ,
‘क्या पथिक को ‘ ‘पेड़ की छांव ‘,’ कुएं का पानी ‘,’ नसीब होगा ‘ |
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