जिस घर मे’ ‘स्नेह’ ,’वात्सल्य’,’आत्मीयता’ व ‘शांति ‘ का ‘ वास होता है’ ,
‘पूरी साफ-सफाई’, ‘ताज़ा हवा’ ,’रोशनी से’ ‘ जहां घर रोशन करते हैं’ ,
‘दूध,दही’ ,’घी’,’गंगा जल’,’तुलसी’ , ‘पँचाम्रत’ , ‘पुष्प’ ,’कलश स्थापित करके’ ,
‘चाँदी का रुपया’ ,’नारियल’, ‘खील’,’पान सुपारी’ ‘लॉन्ग’ ‘ इत्र’ ,’धूप’,’पंच-मेवा ‘ से ,
‘लक्ष्मी-गणेश’ की ‘पूजा करके’ ‘आरती करते हैं’, ‘घर मे सुख-शांति होती है’ ,…
“भगवान ” और ” भक्त ” में सीधा सम्बन्ध है, बीच में कुछ भी नहीं , फिर भी तू सांसारिक व्यवहारों में निरंतर संलग्न रहता है | यह विडम्बना नहीं है तो फिर क्या है ?