‘मन ही’ ‘ शक्तिशाली शत्रु है’ , ‘मन के स्वभाव को समझो’ ,
‘मन सदा’ ‘ भोगों की तरफ भागता है’ ,’ तृष्णा मे डूबा है ‘
‘त्याग’, ‘वैराग्य’,’ हठकर्म ‘ से ‘ तृप्ति’ और ‘ शांति ‘ तो मिलोगी ,
‘बस ईमानदारी से’ ‘ प्रभु की इबाबत कर’ ,’नाम कीर्तन मे डूब’ |
‘मन के विकारों को’ ‘ वश मे कर’ , ‘नाम की कमाई कर’ ,
‘द्रढ़ निश्चय करके’ ‘ प्रेम भरोसे’ , ‘सदगुरु की वाणी सुन’ ,
‘नाम’ –‘प्रभु का रूप है’ ,’शक्ति रूप’, ‘ज्ञान रूप’, ‘आनंद रूप’ है ,
‘दबे विकारों की जड़ काट’ , ‘प्रभु नाम का अमृत पी ‘ |
‘खुश-मिजाजी का तोहफा’ ‘ अदा करदे खुदा’ , ‘रोने न पाये कोई कभी’ ,
‘तेरे खजाने मे’ ‘अनेक हीरे हैं’, ‘होठों पर हंसी रहने वाले’ ‘हीरे की ज़रूरत है’