‘राम के किरदार में’ ‘ इतना दिव्य प्रकाश ‘ है , ‘युग आए युग गए’ ,
‘इंसान की इच्छाएं अनिच्छाएं ‘ , ‘ धरती- आसमान बनाते रहे ‘ ,
‘मर्यादा पुरषोत्तम राम’ ,’ हमेशा भारतीय चिंतन ‘ की ‘ धारा के महानायक रहे’ ,
‘मर्यादा की जो लकीरें’ ‘युगों पहले खींची थी’ ,’आज स्वर्ण-रेखा की भांति चमकती हैं ‘ |
‘महान पुरुषों का संग’ , ‘गंदे विचारों को’ ‘खत्म कर डालता है ‘ ,
‘एकता’, ‘भाईचारे की भावना’ , ‘सुनने समझने की समर्थता बढ़ती है’ ,
‘कालजयी म्रत्यू’ ‘ निश्चित है सबकी’ ,’शांति के बीज बोने लगो’ ,
‘मोहमाया के जाल को काटो’ , ‘सत्संग की विधा को मत भूलो ‘ |
‘जिस परमात्मा ने’ ‘ हमें जीवन दिया है’ , ‘उसका प्रतिदिन धन्यवाद करें’ ,
‘यह परम्परा’ –‘जीवन को सदप्रेरणा’ और ‘ प्रकाश’ से ‘भर देगी तेरे’ ,
‘प्रार्थना करें’- ‘हे परमात्मा’, ‘तेरी महानता’ और ‘दयालुता’ पर ‘हम नतमस्तक हैं’ ,
‘हमें शक्ति दो’, ‘सदबुद्धि दो ‘ ताकि ‘ हम संसार की’ ‘ कुछ सेवा कर सकें ‘ |