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धर्म – सदगुरू

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‘ज्यों अतिथि  के  बिना  आँगन ‘ , ‘पानी  के  बिना  नदी  बेकार  है ‘,

‘पैसे  के  बिना  पाकेट ‘ तो  ‘सदगुरू  बिना’‘हमारा  जीवन  बेकार  है’ ,

‘जीवन  में  एक  गुरु  ज़रूरी  है’ , ‘गुरु  नहीं’  ‘तो  जीवन  शुरू  नहीं ‘ ,

‘सदगुरू  बड़े  शिल्पी  होते  हैं ‘ , ‘पत्थर  को  नारायण बना  देते   हैं ‘ |

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