Home कविताएं धर्म , ज्ञान और भगवान के प्रति हमारे भाव !

धर्म , ज्ञान और भगवान के प्रति हमारे भाव !

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[1]

‘माँ  दुर्गा  की  याद’- ‘रसमय’ ‘सुखमय’ और ‘आनंदमय ‘  स्वरूप  है ‘,
‘और संसार की यादों का परिणाम ‘,’दुःख-दर्द और कष्टों का कारण है ‘|

[2]

‘तू ग्रन्थों को खूब पढ़ता है,और सत्संग में जाता है, 
‘बेईमानी भी करता है ,ओरों का गला भी काटता है ,
‘तू  सतसंगी कैसे  हुआ ? तू  पूरा घमंडी  पाखंडी  है ,
‘सत्संग के वचन छाती से लगाएगा,तो सतसंगी है ‘|

[3]

‘अगर तू माँ दुर्गा का दास है ,सबके कल्याण का मार्ग ढूंढेगा ,
‘अगर  माया  का दास  है  तो ,केवल  माया  ग्रस्त  प्राणी  है ‘|

[4]

‘ख्वाहिशें कमजोर हो सकती हैं’, ‘माँ दुर्गा के फैसले सर्वोच्च होते है’, 
‘दुआएं समयानुसार कबूल  हो जाती  हैं ‘,’कभी रद्द होती नहीं देखी’ |

[5]

‘यदि  भगवान की  अनुभूति चाहिए तो  भावना प्रबल बना’ ,
‘ इंसानियत  से  मिलना  है  तो खुद  इंसान बन कर दिखा’ ,
‘मंज़िल पर पहुँचना है  तो अपना  पूर्ण आत्मविश्वास जगा’ ,
‘अपनों  से  दूरी नहीं  चाहते  तो ‘दिल  मे स्थान  दो उनको’ |

[6]

‘अभी  तक  एक  राम  मंदिर  नहीं’ ,’अनेकों  मंदिर  बन  गए  होते ,’
‘कमबख्त हिंदुओं में ही एकता नहीं’ ,’वे राम रसिक लगते ही नहीं ‘|

[7]

‘प्र+सा+द अर्थात ‘प्रभु  से  साक्षात  दर्शन  ‘का  नाम प्रसाद  है ,’
‘उसका निरादर मत करना कभी’ ,’प्रभु नाराज़ हो जाएंगे मित्रों ‘ |

[8]

‘प्रभु  की  बड़ी  कृपा  रही  मुझ  पर’ ,’ शांति  से जीवन  गुज़र  गया ,’
‘ख्वाहिशों ने कभी नहीं घेरा मुझे ,‘सामान्य जीवन जीता चला गया ‘|

[9]

‘ कुछ  देना  है  तो  झुक  कर  दे ‘,’ गुमान  न  हो  पाये  कभी ‘,
‘शांत चित्त’और ‘विनम्र स्वभाव को ‘,’प्रभु-फौरन भांप जाते हैं ‘|

[10]

‘माँ दुर्गा कृपा करें ,सभी प्यार भरा जीवन जीये’ ,’एक-दूसरे का सम्मान करें ,’
‘हर किसी के जीवन में खुशियाँ हों’ ,’सब अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते चलें ‘|

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