[1]
‘माँ दुर्गा की याद’- ‘रसमय’ ‘सुखमय’ और ‘आनंदमय ‘ स्वरूप है ‘,
‘और संसार की यादों का परिणाम ‘,’दुःख-दर्द और कष्टों का कारण है ‘|
[2]
‘तू ग्रन्थों को खूब पढ़ता है,और सत्संग में जाता है,
‘बेईमानी भी करता है ,ओरों का गला भी काटता है ,
‘तू सतसंगी कैसे हुआ ? तू पूरा घमंडी पाखंडी है ,
‘सत्संग के वचन छाती से लगाएगा,तो सतसंगी है ‘|
[3]
‘अगर तू माँ दुर्गा का दास है ,सबके कल्याण का मार्ग ढूंढेगा ,
‘अगर माया का दास है तो ,केवल माया ग्रस्त प्राणी है ‘|
[4]
‘ख्वाहिशें कमजोर हो सकती हैं’, ‘माँ दुर्गा के फैसले सर्वोच्च होते है’,
‘दुआएं समयानुसार कबूल हो जाती हैं ‘,’कभी रद्द होती नहीं देखी’ |
[5]
‘यदि भगवान की अनुभूति चाहिए तो भावना प्रबल बना’ ,
‘ इंसानियत से मिलना है तो खुद इंसान बन कर दिखा’ ,
‘मंज़िल पर पहुँचना है तो अपना पूर्ण आत्मविश्वास जगा’ ,
‘अपनों से दूरी नहीं चाहते तो ‘दिल मे स्थान दो उनको’ |
[6]
‘अभी तक एक राम मंदिर नहीं’ ,’अनेकों मंदिर बन गए होते ,’
‘कमबख्त हिंदुओं में ही एकता नहीं’ ,’वे राम रसिक लगते ही नहीं ‘|
[7]
‘प्र+सा+द अर्थात ‘प्रभु से साक्षात दर्शन ‘का नाम प्रसाद है ,’
‘उसका निरादर मत करना कभी’ ,’प्रभु नाराज़ हो जाएंगे मित्रों ‘ |
[8]
‘प्रभु की बड़ी कृपा रही मुझ पर’ ,’ शांति से जीवन गुज़र गया ,’
‘ख्वाहिशों ने कभी नहीं घेरा मुझे ,‘सामान्य जीवन जीता चला गया ‘|
[9]
‘ कुछ देना है तो झुक कर दे ‘,’ गुमान न हो पाये कभी ‘,
‘शांत चित्त’और ‘विनम्र स्वभाव को ‘,’प्रभु-फौरन भांप जाते हैं ‘|
[10]
‘माँ दुर्गा कृपा करें ,सभी प्यार भरा जीवन जीये’ ,’एक-दूसरे का सम्मान करें ,’
‘हर किसी के जीवन में खुशियाँ हों’ ,’सब अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते चलें ‘|