[1]
‘माँ ‘के रंग में रंगे रहें ,संतों का संग करें’ ,’नेकियों से भरे रहें ,’
‘मन को निर्मल बना कर आगे बढ़ें’ ,’भलाई करने में भलाई है ‘|
[2]
‘माया में बंधा मन’,’परमात्मा की ओर बढ़ने ही नहीं देता ,’
‘प्रपंचों में भटक रहा है’ ,’काश ! मन दाता की ओर मुड जाता ‘|
[3]
‘ माँ की भक्ति में खुद को ‘ ,’ सदा समर्पित करता चल ,’
‘आनंद ,निर्मलता और शीतलता से’ ,’मरहूम नहीं होगा कभी ‘|
[4]
‘अहसासों के पलों में दुर्गा माँ का रंग चढ़ने दो ,आनंद लो’ ,
‘विचलित मन असन्तुष्ट रहता है’ ,’आनंद का अनुभव नहीं होता ‘|
[5]
‘आप अनमोल हैं,प्रभु के हस्ताक्षर हैं’ ‘अपनी कीमत मत घटाइये ‘,
‘कितना भी टूट जाएँ ,जर्जर हो जाएँ ,’जब स्वम चाहोगे ‘टूट जाओगे ‘|
[6]
‘जब जब दिल से माँ -भगवती का गुणगान किया जिसने ,’
‘हर भक्त के हित की पुकार’,’ कभी खाली नहीं गयी ‘|
[7]
‘मैं बुरा इंसान हूँ प्रभु’,’मेरी बाँह पकड़ कर प्रकाश की ओर ले चलो’ ,
,’ नैया डांवाडोल है मेरी ‘ ,’ सही राह पर चला दे ‘ मेरे दाता ‘|
[8]
‘कुछ ऐसे कर्म भी जरूर करो’,
‘जिंनका गवाह खुद भगवान हो’ ,
‘इंसान में इंसानियत नहीं मिलती’ ,
‘सच्ची गवाही से भी मुकर जाते हैं ‘|
[9]
‘अगर आप अपना दिल ‘,’माँ-दुर्गा को समर्पित कर दो ,’
‘ ह्रदय -घात का खतरा खतम’ ,’जीना भी आ जाएगा “|
[10]
‘खून कोई भी पिये ,’प्रभु’
‘केवल तू ही याद आता है ,’
‘बेसहारों का सहारा है’ ,
‘तू ही नैया का खिवय्या है ‘|