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देश में चुनाव

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‘देश    मैं    निष्पक्ष    बदलाव ‘  ‘ तभी    सम्भव    है’  ‘ जब   वर्तमान   राजनैतिक    वातावरण   बदले’  ,

‘राजनीति   में    आम   आदमी    की    शिरकत   को ‘  भी  ‘ बढ़ावा    हर   हाल    मैं    मिलना   चाहिए’  ,

  ‘राजनैतिक    धुरी’- ‘राष्ट्र -हित ‘, ‘राष्ट्र- प्रेम’ , ‘राष्ट्र -द्रोह’   के’  ‘ सही    मायने    जानते     ही    नहीं ‘ ,

‘घोषणा पत्रों   मे’  ‘खुलेआम   मुफ्त   सौगाते’   , ‘सुसंगठित   भ्रष्टाचार   का’  ‘प्रत्यक्ष  एक   नमूना    है ‘ ,

‘बदलाव   यदि   पूरी   व्यवस्था   मे   लाना   है ‘  तो ‘ जड़   पर   कुठराघात    करो ‘,  ‘हिम्मत   दिखाओ ‘ ,

‘वोट   लेने   के   लिए’  ‘ लालच   परोसना ‘, ‘सीधे   चुनाव –  संहिता   का ‘  ‘खुल्लमखुल्ला  उल्लंघन   है ‘,

   ‘जब   चुनाव   का   श्री-गणेश ‘ ‘ भ्रष्टाचार   की   भूसी ‘  ‘बिखेर  कर   होता  है ‘ , ‘ निष्पक्ष   चुनाव  कैसे ‘  ?

‘देश   को-  चुनाव-प्रणाली   मे’  ‘ आधार  भूत   बदलाव ‘  करके  ही  , ‘ आगे   बढ़ने   की   ज़रूरत    है ‘  |

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