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देश की ज़रूरत है

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‘कौन    कितनी   लूट   मचाए ‘, ‘ कितने    लोग    उठाए’  ,  ‘ज़मीनों    पर    कब्जे    कराये ‘ ?

‘स्याही   पुतवाए’ , ‘जूते   फिकवाए’,’अराजकता   फैलाये’ ,’राजनीति   का’  ‘ये  ही  स्वरूप  है’ ,

‘नैतिक    मूल्य ‘ ,  ‘भविष्य    निर्माण ‘ ,’ समर्पित   भाव’   का  अब   ‘ देश   मे  डब्बा   गोल   है ‘ ,

‘इज्जत   की   रोटी’ , ‘ कपड़ा ‘  और   ‘मकान ‘   हर   प्राणी    को , ‘आज   देश   की   ज़रूरत   है ‘ |

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