‘अपनी आत्मा को बेचने की ‘ ‘ ललक अभी तक अधूरी है’ ,
‘इस देश के पतन का सिलसिला’ , ‘ कुछ और चलना चाहिये’ ,
‘गद्दारों से भरा है देश अपना ‘,’चाँदी की चमक ‘ के ‘जौहरी घटते नहीं’ ,
‘अब तो ‘मोदी- योगी ‘ जुगल- बंदी की ‘ ‘, ‘देश को भारी जरूरत है ‘ |
‘अपनी आत्मा को बेचने की ‘ ‘ ललक अभी तक अधूरी है’ ,
‘इस देश के पतन का सिलसिला’ , ‘ कुछ और चलना चाहिये’ ,
‘गद्दारों से भरा है देश अपना ‘,’चाँदी की चमक ‘ के ‘जौहरी घटते नहीं’ ,
‘अब तो ‘मोदी- योगी ‘ जुगल- बंदी की ‘ ‘, ‘देश को भारी जरूरत है ‘ |
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