‘आम – जन’ ‘ दुःखी’ , ‘कार्यकर्ता आहत’ , ‘लूट-खसोट विधायक’ , ‘ संसद बनने की होड’ ,
‘गली-गलोच’ , ‘स्याही ‘ , ‘पत्थर बाज़ी’ , ‘पुतले जलाना’ , ‘आग लगाना’ , ‘आज राजनीति है’ ,
‘हमारा गणतन्त्र ‘, ‘बहुबलियों का गणतन्त्र है’ , ‘स्वार्थ भाव की पूर्ति ‘ का ‘ एक माध्यम है’ ,
‘आज – ‘लाल बहादुर’ , ‘ सरदार पटेल ‘, ‘अटल’ जैसे ‘ व्यक्तित्वों को’ ‘ उभरने ही नहीं देते’ ,
‘ज़हरीली राजनीति की भट्टी मे’ ‘जनता’ ‘ यूं ही तपती पिसती ‘ रहेगी ‘ इस देश मे ‘ ,
‘मोदी ‘ जैसे ‘ एक महामानव से’ ‘कुछ नहीं होगा ‘ , ‘अनेकों मोदी चाहिए’ इस देश को’ |