[1]
‘सदा प्रजा के सुख में ही, राजा का सुख होता है,
‘राजा का निजी -ना कोई सुख है ,ना कोई दुख ,
‘जन विरोधी कार्यों के लिए, दंड तो सरकारी ही देगी,
‘लोह पुरुष बनो,सरकारी व्यवस्था को तुरंत सुधारो’ !
[2]
हमारे देश में
‘जो भारत में जन्मा’, वह मूल रूप से भारतीय नागरिक कहलाएगा,
‘धर्म बदलने या नागरिकता बदलने से भी, देश तो अपरिवर्तनीय है,
‘कोई किस भाषा, प्रदेश, जाति, से है, शासन का कोई लेना देना नहीं,
‘सभी नागरिकों का’ समान अधिकार , बराबरी के स्तर का कानून है ‘ !
[3]
हमारे देश में
‘आज राष्ट्र की अस्मिता को घुन लग चुका है, कौन जाने क्या बचेगा अब,
‘कैसे – कैसे नारे , कैसे -कैसे जहरीले संवाद, सुनने को मिल रहे हैं देश में,
‘भारत माता की जय बोलें या न बोलें , अब यहां बहस का प्रश्न है,
‘राष्ट्रवाद के फर्जी सर्टिफिकेट की नहीं , सुदृढ़ सुशासन की जरूरत है ‘ !
[4]
‘किस धर्म में कहा गया है कि , किसी मासूम को मारो ,
‘उनके लिए भी कुछ करो जो, बदले में कुछ नहीं दे सकते,
‘भारत एक देश , राष्ट्र या जमीन का टुकड़ा ‘ नहीं केवल ,
‘यह ‘चेतन भूमि’ है जहां, सदा ‘विशेष ऊर्जा’ स्पंदित होती है’ !
[5]
हमारे देश में
हकीकत से रूबरू होते हुए भी कानून को ठेंगा दिखाना,’वकीलों से पुछें जनाब,
देश की कानून प्रक्रिया में कितने छेद हैं ,निर्भया केस इस बात का नंगा सबूत हैं |
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