Home ज़रा सोचो “दुनियादारी चाहिए सबको “, ‘ कल्याण की बात कोई करता ही नहीं “| जरा सोचें |

“दुनियादारी चाहिए सबको “, ‘ कल्याण की बात कोई करता ही नहीं “| जरा सोचें |

1 second read
0
0
476

[1]

‘हर  उम्र  के  दौर  का,
‘मजा  लीजिए  जनाब,
‘जिंदादिल’  बनकर,
‘उलझनों’  को  उड़ा  दीजिए’ !

[2]

‘चालाकी’  नहीं  आती  तभी  आज  तक  फिसड्डी  हूं,
‘गद्दारी’  का  नाम  सुना  है  पर ‘गद्दारी’  नहीं  आती,
‘वफादारी’  का  पहरेदार  होकर जी  रहा  हूं  आज तक,
‘कोई  क्या  बिगाड़ लेगा  मेरा बस  इतना  बता दो तुम’ !
[3]
‘हर  इंसान’ जाने  अनजाने ‘आनंद’  खोजता  है,’परंतु ‘सुख’  के  पीछे  लग  जाता  है,
‘सुख’  तो ‘आनंद  की  छाया’  भर  है, ‘आनंद  का  आनंद’ ‘सत्संग’  में  समाया  है’ !
[4]
‘सदा  ‘औरों  के  लिए’ कुछ  करता  रहा,
‘किसी  को ‘शिकायत’  नहीं  थी,
‘जरा  ‘खुद’ का  क्या  सोचने  लगा ?
‘मोहल्ले  में ‘कोहराम’  मच  गया’ !
[5]
‘तमन्ना’  है  किसी  ‘फौजी  की  मां  का  लाल’
‘शहीद’  न  होने  पाए,
‘हम  अपनी  ‘खुशियों’  को  घटा  लेंगे,
‘इच्छाओं’  को  दबा  लेंगे’ !
[6]
‘विधाता ‘ ‘ सूसंतो  से  मिलाप’  करवा  दो , ‘ सोया  एहसास ‘  जग  जायेगा,
‘दुनियावी  सिलसिले’ घट  जाएंगे, ‘जीवन  का  सफर’ सहज  होता  जाएगा’ !
[7]
‘गर ‘ प्रभु  का  एहसास ‘ खो  गया,
‘संत-  प्रेरणा’ के  स्रोत  सूख  गए,
‘आनंदमय जीवन’ कभी  जी  नहीं  सकते,
‘आत्म- कल्याण’  असंभव  है’ !
[8]
‘संसार  की  उपलब्धियों’  पर  ध्यान  है,
‘सकून’  खोते  जा  रहे  हैं  रात दिन,
‘कल्याण  का  मार्ग’ भी  प्रशस्त  होना  चाहिए,
‘सन्मार्ग ‘  का  राही  तो  बन’ !
[9]
‘विषय  विकारों  में  फंसा  जीवन, ‘आत्मा  के  कल्याण’ की  सोचता  ही  नहीं,
‘मीनार  के  नीचे  खड़ा  है, ‘परम  सत्य’ को  पाने  का  प्रयास  ही  नहीं  करता’ !
Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In ज़रा सोचो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…