Home कविताएं उदासी की कविताएँ “दुनियाँ से गिला क्यों जब खुद का शरीर साथ नहीं देता” |

“दुनियाँ से गिला क्यों जब खुद का शरीर साथ नहीं देता” |

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खुशी  में  – दसों  उँगलियाँ   ताल   ठोकती   थी ” , ” पौबारह   थे   हमारे ” ,

“उलझनों  ने  पिंगे  बढाई”,”रो पड़े”,”एक  उंगली  उठी  आंसूँ  पोंछ  डाले “,

“दुखों  में  खुद  का  पूरा  शरीर  साथ  नहीं  देता” ,” मैदान  छोड़  जाता  है” ,

“फिर  दुनियाँ  का  गिला  क्या  करना” ,”और क्यों  उम्मीद  करे  बैठे  हैं ” ?

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