“खुशी में – दसों उँगलियाँ ताल ठोकती थी ” , ” पौबारह थे हमारे ” ,
“उलझनों ने पिंगे बढाई”,”रो पड़े”,”एक उंगली उठी आंसूँ पोंछ डाले “,
“दुखों में खुद का पूरा शरीर साथ नहीं देता” ,” मैदान छोड़ जाता है” ,
“फिर दुनियाँ का गिला क्या करना” ,”और क्यों उम्मीद करे बैठे हैं ” ?