
‘तू ‘ ‘चाहे कितना भी ज्ञानी हो ‘ , ‘कभी मूर्ख से’ , ‘घमंडी से’ ,’ संत से ‘ , ‘अपने सर्व-प्रिय जनों ‘ से ‘ वाद-विवाद’ ‘ मत करना’ , क्योंकि ‘ इस विवाद’ का ‘ अन्त ‘ ‘अप्रिय ‘ ही होता है |
‘तू ‘ ‘चाहे कितना भी ज्ञानी हो ‘ , ‘कभी मूर्ख से’ , ‘घमंडी से’ ,’ संत से ‘ , ‘अपने सर्व-प्रिय जनों ‘ से ‘ वाद-विवाद’ ‘ मत करना’ , क्योंकि ‘ इस विवाद’ का ‘ अन्त ‘ ‘अप्रिय ‘ ही होता है |
‘कामयाबी पर गुमान’ , ‘शेर-दिल ‘ को भी ‘गुमनामी मे ‘ धक…
Login