[1]
“एक दूसरे को परखने में लगे रहे “, “समझने की जरूरत नहीं समझी ” ,
“काश ! एक – दूसरे को समझ लेते “,” केवल कड़ुवे घूंट पी रहे हैं हम ” |
[2]
“तुम चाहे जिस से जुड़ जाओ’ ,’ इसमें कोई खास बात नहीं है ‘ ,
“खास बात इसमें है कि ‘ “तुम उससे जुड़े रहते भी हो या नहीं ” |
[3]
“गैरों को क्या पता” “हमारी कमजोर कड़ी क्या है ” “और क्यों है ” ?
“ये तो अपने ही जड़ खोद देते हैं “, “शांति से जीने नहीं देते हमें “|
[4]
“अच्छाई / बुराई एक मन का बहकावा है “, “दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता “,
“तू कुछ भी करता जा “, ” सुख/दुःख तो कर्मों के अनुसार मिलते जाएंगे ” |
[5]
“किसी हवा के झोके की मानिंद हम”, “एक दिन उड जाएंगे” ,
“अब बिल्कुल फुर्सत नहीं तुमको “,”याद बन कर रह जाएंगे “,
“जिंदा रहते हमारा वजूद नहीं”,” किसी दिन आंसूँ बन बह जाएंगे “,
“हमारे वजूद का अहसास तो कर””ताज़गी से सरोबार कर जाएंगे “|
[6]
“मनोविज्ञान ” “गुस्से के भाव को नियंत्रण करना सिखाता है” ,
“काउन्सलर सिखाता है’ ‘विनाशकरी गुस्सा’ ‘रचनात्मक कैसे बने” ?
[7]
“बीमारी हो गयी तो’, ‘एक्सीडेंट हो गया तो’, ‘सब कुछ चोरी हो गया तो’ ,
‘नौकरी चली गयी तो’ ,’काम ना चला तो’, ‘ये भाव भीतर तक तोड़ देते हैं ”,
‘मृत्यु अंतिम सत्य है’ ‘ फिर तनाव में जी कर क्या मिलेगा ‘,’ जरा बता’ ,
‘अपने भीतर प्रेरणा जाग्रत करो ‘,’ हिम्मत से काम लो ‘, ‘ बस आगे बढ़ो ‘ |
[8]
” आने वाले कल की चिंता में दिन – रात घुलते हैं”,
“देखते-देखते हमारा वर्तमान हाथों से निकल जाता है “,
“हकीकत में वर्तमान ही सच है”,”वर्तमान ही उपहार है” ,
“जागरूक और तर्कसंगत बनो”,”अपनी खूबियां जानो” ,
[9]
“समझदारी तुम्हें जीवन की ऊंचाई पर जरूर बैठा देगी” ,
“परंतु आपका ‘व्यवहार’ ही” “उस ऊंचाई को बनाए रखता है ” |
[10]
“यदि ‘ नम्र बनने ‘ और ‘सही बनने’ में ‘छांटना पड जाए ‘,
“सदा नम्र बने रहो “, ‘सही रास्ते ‘ ‘स्वम खुलते जाएंगे ” |