टीवी , मोबाइल से चिपके रहे , रिस्तों की अहमियत जानी नहीं
वह एक प्राइमरी स्कूल की टीचर थी |
सुबह उसने बच्चों का टेस्ट लिया था और उसकी कापियाँ जाँचने
के लिए घर ले आई थी | बच्चों की कापियाँ देखते-देखते उसकी आँखों
से आंसूँ बहने लगे |
उसका पति वहीं लेटे हुए मोबाइल देख रहा था | उसने उससे रोने का
कारण पूछा |
टीचर ने बताया , ” सुबह मैंने बच्चों को “मेरी सबसे बड़ी ख्वाईश” विषय
पर कुछ पंक्तियाँ लिखने को कहा था | एक बच्चे ने इच्छा जाहिर की है
कि ‘भगवान उसे मोबाइल बना दे ” |
और सुनो उस बच्चे ने आगे लिखा है :-
“1 अगर मैं मोबाइल बन जाऊंगा तो घर में मेरी एक खास जगह होगी
और सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहेगा |
2, जब मैं बोलूँगा , तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे |
3 मुझे रोका-टीका नहीं जाएगा और कोई उल्टा सवाल नहीं पूछेगा |
4 पापा ऑफिस से आने के बाद थके होने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे |
5 मम्मी को जब तनाव होगा तो वे मुझे डाटेंगी नहीं , बल्कि मेरे साथ
रहना चाहेंगी |
6 मेरे भाई-बहनों के बीच मेरे पास होने से झगड़ा नहीं होगा तथा
मैं [मोबाइल] बंद रहूँगा तब भी मेरी अच्छी तरह देखभाल होगी |
7 और मैं [मोबाइल] के रूप मैं सबको खुशी भी दे सकूँगा | ”
यह सब सुनकर पति थोड़ा गंभीर होते हुए बोले ,‘हे -भगवान !
बेचारा बच्चा — उसके माँ -बाप तो उस पर ज़रा भी ध्यान नहीं देते ” |
टीचर पत्नी ने आँसू भरी आँखों से उसकी तरफ देखा और
बोली , ‘ जानते हो , यह बच्चा कौन है ? ‘ ‘ हमारा अपना बच्चा छोटु “|
“ज़रा सोचिए ! यह छोटु आपका बच्चा तो नहीं “
मित्रों ! आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी मैं हमें एक-दूसरे
के लिए कम वक्त मिलता है और वो भी अगर सिर्फ टीवी , मोबाइल
पर चिपक कर गवा देंगे तो हम कभी अपने रिस्तों की अहमियत
और उससे मिलने वाले प्यार को कभी नहीं समझ पाएंगे |
कृपया , अपने बेसकीमती समय मैं से कुछ समय निकाल
कर अपने परिवार के लिए भी दो | जीवन का पूरा आनन्द लो
और प्रेम से जियो |