Home ज़रा सोचो ‘झूठ की डाली न बन,” “मुस्कराहट का खजाना बन “,”दूसरों की तारीफ करनी सीख लो ” |

‘झूठ की डाली न बन,” “मुस्कराहट का खजाना बन “,”दूसरों की तारीफ करनी सीख लो ” |

1 second read
0
0
519

[1]

‘डाली’  पर  बैठी  चिड़ियों  को, ‘उसके  टूटने  का  डर  नहीं,
‘उसे  उस ‘डाल’  से ज्यादा  अपने  ‘पंखों’  पर  भरोसा  है’ !

[2]

‘कठिन  समय’  में  जिंदगी, ‘सभी  को ‘नाच’  नचाती  है,
‘अफसोस’ तब  होता  है  जब, ‘नचाने वाले’ अपने  ही  हों ‘ !

[3]

‘झूठ’  बोल  कर ‘वाहवाही’ लूटने  से  बेहतर  है ,
‘सच’  उगल  देना,
‘नकली  मुखौटा’ ओढ़ने  से  बेहतर  है,
‘सामान्य  जीवन  ‘ जी ‘ जाना !

[4]

करोना  संक्रमण
‘असंभव  लगती  ‘समस्या’  भी  हल  हो  जाएगी,
‘देश में  कुछ ‘सख्त फैसलों’  की जरूरत  है उसके लिए’ !

[5]

संक्रमण  का  मौषम
‘हमने  नफरत  की  गांठे  बांध  रखी  है,
‘सुमधुर  जीवन  क्यों  नहीं  जीते ? ,
‘ देखते-देखते  सांसें  उखड़  जाएगी,
‘सिर्फ  प्यार  के  धागों  से  जुड़ !
[6]
‘मेरी  ‘हंसी’  कौन  चुराएगा ?
‘मैं ‘  मुस्कुराहट  का  खजाना  हूं,
‘खुशियों  का  दीपक’ जलाएं  रखता  हूं,
‘तूफान’  को  बढ़ने  नहीं  देता’ !
[7]
‘किसी  की  तारीफ’ करने  का  जलवा  दिखा,
‘ तो  जानेंगे  तुम्हें,
‘किसी  की  ‘जड़ें ‘ जब  चाहे  खोद  दो,
‘ यह  हुनरबाजी  नहीं  होती’ !
[8]
‘ चुप  रहना  तो  सीख  गए  परंतु , ‘ सही  को  सही ‘ नहीं  कहा,
‘कड़वे सच’ दबाते हुए, ‘समयानुसार ‘ढल जाते’  तो अच्छा था’ !
[9]
‘ इधर-उधर  झाँकते  हो , ‘ करते  कुछ  भी  नहीं , कौन  पालेगा  तुम्हें  ?
‘विश्वास  का  दीपक  जलाओगे  तो,’अंधकार’ का  अंत  निश्चित  समझ’ !
[10]
‘कौन  कहता  है  मुसीबत  आते  ही ‘आंखें’  बंद  कर  लो , ‘ टल  जाएंगी,
‘मुसीबत’ आए  बिना  तो ‘आंखें’ नहीं  खुलती ,’ गफलत  में  हो  जनाब’ !
Load More Related Articles
Load More By Tarachand Kansal
Load More In ज़रा सोचो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

[1] जरा सोचोकुछ ही ‘प्राणी’ हैं जो सबका ‘ख्याल’ करके चलते हैं,अनेक…