Home कविताएं “जो बोओगे वही काटोगे” ,”अपने अंदर झांको ” ,” सदगुणी बनो ” !

“जो बोओगे वही काटोगे” ,”अपने अंदर झांको ” ,” सदगुणी बनो ” !

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” कैरियर  ” का  ” महल  ” कभी ”  हवा ” में   नहीं   बनता ,
वह”जीवन-शैली” की”मजबूत बुनियाद” पर ‘खड़ा” होता है |
“शुरुआती पड़ाव” “आगामी जीवन” में “मिल” का “पत्थर” बनते हैं |
“हम जो बोते हैं” ,”वही काटते ” हैं ,”कहावत” “स्वंम” में “आधार” है |

{2}

 “अपने” अंदर ” झांक” कर  देख ,अगर “शुद्ध” है  तो “भगवान” “नज़र” आ  जाएंगे ,”सेवा-भाव” व” स्मरण “में ” मग्न ” हो  गए,” संकीर्तन” किया, तो “मिल “जाएंगे |”मन”, ” वाणी ” ,”क्रिया”, ” नेत्रों ”  से  यदि , “संसार” में “अपराध” करते  रहे  तो ,” भगवान ” से ” विमुख ” हो जाओगे , “बाहरी” व ” गहरी खाई ” में ‘चले” जाओगे |

{3}

“ज्ञान” वह “धन”  है , चाहे ” किसी से ” भी  ले  लो ,कभी “वापस” नहीं  देना  पड़ता,

” अज्ञान ” के “अंधकार ” मिटाने   के  लिए  “, ज्ञान-दीप ” ” जलाना ” ही  चाहिए |”

ध्यान   रहे   अच्छे  गुण” ” जहां ” से  मिले  “,ग्रहण ” करने  मे  ” देरी ”  मत  करो | “

“समय -सीमा ” में ” कार्य ” करने  से ,” सफलता ” के “द्वार” पर “ताला”नहीं लगता |

 
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