‘प्यार से पेश आने की आदत तेरी’ ,एक दिन उसमें भी प्यार भर देगी’,
‘ वो कयामत की रात जरूर आएगी ‘ ,’ जब वो अपने अंदाज बदल देंगे ‘
‘ तुम अपनी जिंदगी में रो – रो के जिये ‘ ‘ तो क्या जिये ‘,
‘जितना भी जियो ज़िंदादिली से जियो ‘,’कल किसने देखा है जनाब ‘?
सभी माँ-बाप -बच्चों की भावनाओं का आदर व उचित व्यवहार करते हैं ‘,
‘ अपने माँ – बाप को अनमोल , अति सम्माननीय और प्रिय समझो ‘,
‘ अनेकों युवा – माँ – बाप के प्रति स्नेही भावनाएं , बिलकुल नहीं रखते ‘,
‘विचार न भी मिलें तो भी हर हाल में’ ,’उनका सम्मान होना ही चाहिए ‘
‘स्त्री कभी लक्ष्मी रूप धारण कर परिवार को समपन्न बनाती है ‘,
‘ सरस्वती बन कर संतान को शिक्षित बना पर सम्मान दिलाती है ‘ ,
‘बुराई और पाप नष्ट करने के लिए ‘,’ दुर्गा रूप भी धारण कर लेती है ‘ ,
‘नारी कल भी भारी थी,आज भी भारी’,’इंसान कल भी आभारी था आज भी आभारी’|
‘कम बोलिए काम का बोलिए’ ,’ जो किसी के काम आ सके ‘,
‘मीठा बोलिए जो आनंदित करे’ , ‘सत्यम , शिवम ,सुंदरम हो ‘,
‘पियो जो अमृत तुल्य स्वाद हो’ ,’ विषैलेपन से मुक्त सदा हो’ ,
‘कार्य वो करो जो पवित्र हो’ , ‘सचरित्रता का पूरा प्रमाण हो ‘|
‘जब हम कडवा बोल बोलते हैं ,’ दिल का दर्द जवां हो जाता है ‘,
‘जब कह नहीं पाते ,सह जाते हैं ,समझो -‘जीना आ गया हमको ‘|
‘प्रत्येक व्यक्ति को एक पौधा लगा कर बन महोत्सव मनाना चाहिए ‘,
‘देखते की देखते करोड़ों पौधे हमारी धरती पर लहराने लग जाएंगे ‘,
‘व्रक्ष तो जीवन है , ताज़ी हवा, फल ,अनाज, सब्जी, क्या नहीं देते हमें ‘,
‘व्रक्ष तो तेरी खुद की जरूरत है,फिर भी इस व्यवस्था से कोसों दूर क्यों’ ?
‘मानसिक तंदुरुस्ती एक अद्भुत वस्तु है , सुख में व्रद्धि कराती है ‘,
‘जीवन भर सुख,आनंद,और आत्मिक प्रसन्नता का अनुभव कराती है ,
‘दूषित भोजन, कत्रिम जीवन-शैली ,श्रम की अपेक्षा,बुढ़ापा ले आती है ‘,
‘निराशा,थकान,चिंता,भय,अनिद्रा-‘जवानी/बुढ़ापे का अंतर मिटा देती हैं’ |