{ यह एक बहुत विद्वान पुरुष के सौजन्य से लिया गया है }
गृहस्थ गीता के अनमोल वचन ।। 🌸💐👏🏻*
जीवन में चार का महत्व :-
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
१. चार बातों को याद रखे :- बड़े बूढ़ो का आदर करना , छोटों की रक्षा करना एवं उन पर स्नेह करना , बुद्धिमानो से सलाह लेना और मूर्खो के साथ कभी न उलझना !
२. चार चीजें पहले दुर्बल दिखती है परन्तु परवाह न करने पर बढ़ कर दुःख का कारण बनती है :- अग्नि , रोग , ऋण और पाप !
३. चार चीजो का सदा सेवन करना चाहिए :- सत्संग , संतोष , दान और दया !
४. चार अवस्थाओ में आदमी बिगड़ता है :- जवानी , धन , अधिकार और अविवेक !
५. चार चीजे मनुष्य को बड़े भाग्य से मिलते है :- भगवान को याद रखने की लगन , संतो की संगती , चरित्र की निर्मलता और उदारता !
६. चार गुण बहुत दुर्लभ है :- धन में पवित्रता , दान में विनय , वीरता में दया और अधिकार में निराभिमानता !
७. चार चीजो पर भरोसा मत करो :- बिना जीता हुआ मन , शत्रु की प्रीति , स्वार्थी की खुशामद और बाजारू ज्योतिषियों की भविष्यवाणी !
८. चार चीजो पर भरोसा रखो :- सत्य , पुरुषार्थ , स्वार्थहीन और मित्र !
९. चार चीजे जाकर फिर नहीं लौटती :- मुह से निकली बात , कमान से निकला तीर , बीती हुई उम्र और मिटा हुआ ज्ञान !
१०. चार बातों को हमेशा याद रखे :- दूसरे के द्वारा अपने ऊपर किया गया उपकार , अपने द्वारा दूसरे पर किया गया अपकार , मृत्यु और भगवान !
११. चार के संग से बचने की चेस्टा करे :- नास्तिक , अन्याय का धन , पर ( परायी ) नारी और पर-निन्दा !
१२. चार चीजो पर मनुष्य का बस नहीं चलता :- जीवन , मरण , यश और अपयश !
१३. चार पर परिचय चार अवस्थाओं में मिलता है :- दरिद्रता में मित्र का , निर्धनता में स्त्री का , रण में शूरवीर का और मदनामी में बंधू-बान्धवो का !
१४. चार बातों में मनुष्य का कल्याण है :- वाणी के सयम में , अल्प निद्रा में , अल्प आहार में और एकांत के भवत्स्मरण में !
१५. शुद्ध साधना के लिए चार बातो का पालन आवश्यक है :- भूख से काम खाना , लोक प्रतिष्ठा का त्याग , निर्धनता का स्वीकार और ईश्वर की इच्छा में संतोष !
१६. चार प्रकार के मनुष्य होते है : ( क ) मक्खी चूस – न आप खाय और न दुसरो को दे !
( ख ) कंजूस – आप तो खाय पर दुसरो को न दे !
( ग ) उदार – आप भी खाय और दूसरे को भी दे !
( घ ) दाता – आप न खाय और दूसरे को दे ! यदि सब लोग दाता नहीं बन सकते तो कम से कम उदार तो बनना ही चाहिए !
१७. मन के चार प्रकार है :- धर्म से विमुख जीव का मन मुर्दा है , पापी का मन रोगी है , लोभी तथा स्वार्थी का मन आलसी है और भजन साधना में तत्पर का मन स्वस्थ है |
जय श्री राधे कृष्ण 🙏🏻💫