Home कविताएं “जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचारने हेतु कुछ छंद “!

“जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचारने हेतु कुछ छंद “!

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[1]

“बुरा वक्त आया बहुत अच्छा हुआ” ,” बहुत कुछ सीखा गया ” ,
“अपनों में गैर छिपे बैठे थे” “,गैरों ने अपनापन दिखाया था “|

[2]

“दिल को सदा ‘ प्रेम’, ‘स्नेह’ और ‘सम्मान’ के ‘ फूलों से सजाये रखना’ ,
‘न जाने कब उल्टी आँधी चल पड़े’, ‘कुछ  करने का मौका  ही  न  मिले’ |

[3]

“सकून की जिन्दगी जीने का मौका” “कम ही मिलता है” ,
“कोई लौटा दे मेरे बीते हुए’ ‘सकून के मस्ती  के वो दिन’ |

[4]

“जब दुनियाँ की महफिलों से थक जाओ”,”चले आना” ,
“आवाज़ मत देना मुझे” , ” आज  भी  अकेले रहते  हैं” |

[5]

“रातें बदलती हैं सपने नहीं” “,रास्ते बदलते हैं मंज़िलें नहीं” ,
“उम्मीद  का  दामन  पकड़े  रक्खो “,” बहार जरूर लौटेंगी” ,
“भाग्य बदले या न बदले”, “समय  निश्चित  ही  बदलता है” ,
“जीवट  बन  कर  डटे  रहो  “, ” सबका  भला   करेंगे  राम ” |

[6]

“जब भगवान की मूर्ति टूटती है” “तुरंत मंदिर से रुखसत  कर देते  हैं” ,
“तू तो एक मानव मात्र  है ” ,” तेरे लिए  रियायत  क्यों  रक्खेगा कोई “,
“परिस्थितियाँ  कैसी भी हों ” “कभी  भी  टूटने मत देना खुद को भाई “,
“सारी दुनियाँ का नालायक आदमी ” “साबित कर देंगे मिलकर सभी “|

[7]

“यदि रिस्ते निभाना चाहते  हो  तो” ” नम्रता का आवरण ही चाहिए” ,
“छल-कपट से भरे रहते हो सदा” ,”महाभारत ही रच पाओगे केवल ” |

[8]

“दोस्ती” 
“दोस्ती की कद्र करो, ” दोस्त तो जिंदगी को जन्नत बना देते हैं ” ,
“फिर पीछे से कहते फिरोगे” ,”वो तो मेरा नहीं ,यारों का यार था ” |

[9]

“खुश  रहने  की  कला  को ” “अपनी  फितरत  में  जरा  शुमार  कर  के  देख “,
“हर कोई  तेरा  दीवाना  हो  जाएगा “,”जीने का अंदाज़ भी बदल जाएगा तेरा “|

[10]

“करोड़ों  इश्क  के  मारे” , ” मारे  गए  बेदर्दी  से  जमाने  में” ,
“इश्क के मारों की  अब  भी” “लंबी  कतार  दिखाई  देती  है” |

 

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