[1]
‘हमारी काया मिट्टी की और महल-मीनारों की बात करते हैं ‘,
‘साँसों को बेच कर ‘काया – महल’ का किराया देते हैं जनाब ‘|
[2]
मानव- जब तक जिया तूफान की तरह जीता रहा सारी उम्र’,
अंत समय शमशान तक खुद जाने की हिम्मत नहीं पायी गयी’|
[3]
‘जब प्रभु ने जीवन दिया है , ‘कुछ तो सोचा होगा हमारे लिए ‘,
‘चलो – ज़िंदादिली से जी लें , ‘ घुट- घुट कर किसलिए जीना ‘?
[4]
‘गुज़रा जमाना कभी हाथ नहीं आता , फिर यादों में खोना उचित नहीं,
‘ वर्तमान में जीने की आदत ही हमें गुनगुनाने का मौका देती जाएगी ‘|
[5]
‘ स्वार्थी और लालची ‘ रिस्तों को निभा नहीं पाते ‘,
‘उम्र भर के लिए रिस्ते बनाने में ऐडी-चोटी का ज़ोर लगता है’|
[6]
‘ नाम और पहचान ‘ सदा खुद की होनी चाहिए ‘,
‘आत्म-सम्मान से जीते रहो,’दोनों स्वम ही मिल जाएंगे ‘|
[7]
‘हो सकता है मैं पूर्ण पारिवारिक सदस्य साबित हो पावूं ,
‘हमारे बीच ‘दोस्ती के मानदंड ‘ कभी समाप्त नहीं होंगे’|
[8]
‘हम संपर्क में ना भी रहें ,’ ध्यान तो रख सकते हैं ‘,
‘हाय’ न भी हो’,’कटकर’चलने का प्रयास नहीं करते’|
[9]
‘ठीक है ‘ हठी ‘ को समझाना बहुत टेढ़ी खीर है ‘,
‘ठोकर’ खा कर ही सही चलना सीख जाते हैं सभी ‘|
[10]
‘जीवन में रिस्ते बदलते रहते हैं, ‘ कुछ निभते हैं कुछ निभाने पड़ते हैं’,
‘कभी अजनबी भी मिल जाते हैं,’जो बिना रिस्ते भी रिस्ता निभाते हैं ‘|