Home कविताएं “‘जीवन के अनेक रूप छंदो के रूप में पेश हैं “

“‘जीवन के अनेक रूप छंदो के रूप में पेश हैं “

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[1]

‘गया धन,खोया स्वास्थ,भूली विद्या,खोया साम्राज्य मिल जाएगा ‘,
‘ऊहापोह  में  गंवाया  समय’वापिस  दिला  दिया ,तो  जानेंगे  तुझे ‘|

[2]

‘मित्र , कभी  उदास  होने  नहीं  देता ‘,
‘फूलझड़ी  का  गुलिस्ता  है ‘,
‘जब  भी  उदास  होता  हूँ’ ,
‘हंसने  का  तरीका  ढूंढ  लाता  है ‘|

[3]

‘गलत  है ‘अकेला  चना  भाड़  नहीं 
भून  सकता ‘,
‘अकेला  मोदी  दीपक  बनकर ‘,
‘सारे  अंधकार  को  खा  गया ‘|

[4]

‘किसी  बात  पर  असहमति  पर 
‘कठोर  शब्द’दिलों  को  छील  देते  हैं ‘,
मीठा  मुस्करा  कर  प्रत्युत्तर  देना, 
‘सुंदर  विकल्प  है ‘|

 [5]

 ‘मानव  की  बोलचाल , उठने-बैठने  का  ढंग,’अभिवादन  का  अनुरोध”,
‘अहंकार  रहित  जीवन  शैली , मधुर  वाणी , विनम्रता , आदर – भाव,’
‘खुले  दिल  से  प्रशंसा  आदि  का’ ‘भावी  जीवन  पर  अहम  प्रभाव  है ‘, 
‘आओ  ! उत्साह और प्रसन्नता  से  इनका  अनुशरण कर  लिया  जाए ‘|

[6]

‘अहम  और  वहम ‘ में हमने, 
‘हस्तियों’ को  डूबते  देखा  है ‘,
‘जब  तूफान  आता  है’,
‘जहाजों  को  किनारा  नहीं  मिलता ‘|

[7]

‘लक्ष्मी  जी  कहती  हैं -कुछ  सत्कर्म  करके  तो  दिखा , आ  जाऊँगी ‘,
‘मानव  बडा  शैतान  है ,कहता  है’-‘तू  आए  तो  कुछ  करके  दिखाऊँ ‘|

[8]

‘अलग – थलग  रह  कर  जीने  की  लालसा  इंसान  को  जुडने  ही  नहीं  देती’ , 
‘आदमी जज़्बात रहित पत्थर दिल हो गए हैं अलग रहने की तमन्ना है सबकी’ |

[9]

‘मुस्किले  तो  आई  हैं  परंतु  तुम  तो  सही  सलामत  हो ‘,
‘हिम्मत से मुक़ाबला करो ,’सफलता कदम जरूर चूमेंगी’|

[10]

‘सारी  दुनियाँ  की  समस्याएँ  तुम्हारी  हैं ‘किसने  कहा  तुमसे ‘?
‘किसी ने  नहीं कहा  तो मुस्कराइए,मुस्कराइए  बस मुस्कराइए ‘,
‘तुम्हारे  रोने  से  कभी  किसी  पर  कुछ  भी  फरक  नहीं  पड़ता ‘,
‘अगर  खुश  रहना  चाहते  हो  तो  जनाब  हमेशा  मुस्कराइए ‘|

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