‘जहां तन हो वहीं मन हो’ , ‘ इसी को .ध्यान कहते हैं ‘ ,
”तन को तो स्थिर कर लिया’ , ‘मन भरमता रहा’ , ‘सब बेकार है’ ,.
‘अन्तःकरण की शुद्धि हेतु’ ‘ योगाभ्यास करना ज़रूरी है ‘ ,
‘नाक की नोक ‘- ‘नेत्रों के बीच भ्रकुटी पर’ ‘ स्थिर करो’ ,
‘हंस जैसा बनो ‘ , ‘दूध ग्रहण करते चलो ‘ ‘ पानी त्यागो ‘ ,
‘इस ज्ञान को समझो’ ‘जहां मन लगाना है’ , ‘ बाकी को छोड़ो ‘ ,
‘आत्म ज्ञान हो गया ‘ तो ‘ जीवन सफल हो गया समझो ‘ ,
‘सार -वस्तू ग्रहण करते चलो’ , ‘ यही जीवन का सार है ‘ |