Home कविताएं धार्मिक कविताएँ जिस प्रकार कमल’ – ‘कीचड़ मे होते हुए भी’ ‘ न्यारा होता है

जिस प्रकार कमल’ – ‘कीचड़ मे होते हुए भी’ ‘ न्यारा होता है

0 second read
0
0
1,427

‘जिस प्रकार कमल’ – ‘कीचड़ मे होते हुए भी’ ‘ न्यारा होता है’ ,
‘ज्ञानी ग्रहस्थी’ –‘जिम्मेदारियाँ निभाते हुए’ ‘महामाया मे नहीं फँसता’ |

Load More Related Articles
Load More By Tara Chand Kansal
Load More In धार्मिक कविताएँ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

‘कामयाबी पर गुमान’ , ‘शेर-दिल ‘ को भी ‘गुमनामी मे ‘ धकेल देगा

‘कामयाबी पर गुमान’ , ‘शेर-दिल ‘ को भी ‘गुमनामी मे ‘ धक…