Home कोट्स Motivational Quotes ‘जिस्मानी मोहब्बत’ नहीं ‘आंतरिक अहसास’ की जरूरत है – अपनी ‘कमजोर कड़ी’ को सुधारो |

‘जिस्मानी मोहब्बत’ नहीं ‘आंतरिक अहसास’ की जरूरत है – अपनी ‘कमजोर कड़ी’ को सुधारो |

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जरा सोचो
अपनी  ‘कमजोरियों’  को  बताना  ‘कठिन’,  दूसरों  का  ‘ चिंतन ‘  सरल,
‘खुद’ पर ‘ध्यान’ केंद्रित  तो, ‘कमजोरियां’  कम,’परिवर्तन’  भी  आएगा’ !

[2]

जरा सोचो
‘तन की भागदौड़’ और ‘मन की स्थिरता’,’स्वस्थता’ के परिचायक हैं,
‘विचलित  मन’  पूरा  हिलाए  रखता  है ,  सब ‘काम’  अधूरे  रहते  हैं’ !

[3]

“अमावस  ” की  रात ” दीपावली ”  मनाते  हैं ,  प्रकाश  बिखेरते  हैं ,
इस काली रात में कुछ ऐसे “तिनके” भी हैं ,जिन्हे हमारी ज़रूरत है ,
उन ” वीरानों ” में भी ” रोशनी” पहुचें ,जहां खुद “रोशनी” जाने से डरती हो ,
“सार्थक प्रयास ” तो करो , “सन्नाटा ” भी तुम्हारे प्यार से जगमगा उठेगा |
[4]
जरा सोचो
‘स्नेही’  निगाहों  में ‘इश्क  की  गहराई’  का  ‘एहसास’ होता  है,
चाहे  ‘विश्वामित्र’  बन  जाओ ,  हर  सूरत ‘फिसल ‘  जाओगे’ !
[5]
जरा सोचो
‘ दहकता’ यौवन, मंद मुस्कान, ‘नैनों’ में अचूक गहराई,
‘गजब’  ढाती  है,’ हर  धड़कन’  पूरे  ‘शबाब’  पर  समझो’ !
[6]
जरा सोचो
‘ हमाम’  में  हम  सभी  ‘ नंगे ‘  ही  नजर  आते  हैं  आजकल,
‘छोटे बड़े’ का ‘लिहाज’,’खूंटी पर टंगा’ नजर आता है जनाब’ !
[7]
जरा सोचो
‘ जिस्मानी’ मोहब्बत ‘बयां’ होती  है, ‘अंतरिक एहसास’  नहीं,
‘दिल  की  गहराई’  नापते- नापते ,’ उम्र ‘  कट  जाएगी  यारों’ !
[8]
जरा सोचो
हम  ‘इकट्ठे’  रह  कर  ‘जीने’  के  आदी  हैं,
,’नई पीढ़ी’ सिर्फ ‘इकट्ठा’ करने में ‘तल्लीन’ है,
सब  जानते  हैं ‘अंत’  में  सब  ‘यहीं’  रह जाएगा ,
फिर  भी ‘ तसल्ली ‘  नाम  की  चीज  नहीं  है !
[9]
मेरा विचार
” दिवाली” हमारे देश की ‘संस्कृति’ और ‘परंपराओं’ की विरासत है !
‘दिवाली’ ‘उदास’ लोगों की नहीं, ‘उल्लास’ और ‘मिलन’ का नाम है’ !
[10]
कुछ ‘खुशियां’  समेट  ली,  कुछ ‘गम’  भुला  दिए,
दिल से ‘नफरत’ भुला दी, ‘दिवाली’ हो गई अपनी’ !
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