
‘जिसके मन में ‘ ‘हमेशा मुस्कराने का भाव’ होता है ,
‘उसे’ ‘ आशाएँ और आकांछाये ‘, ‘कभी परेशान नहीं करती’
सच्चे संस्कार ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है ,
ऐसी धरोहर –जिसे कोई चुरा नहीं सकता कभी ||
‘जिसके मन में ‘ ‘हमेशा मुस्कराने का भाव’ होता है ,
‘उसे’ ‘ आशाएँ और आकांछाये ‘, ‘कभी परेशान नहीं करती’
सच्चे संस्कार ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है ,
ऐसी धरोहर –जिसे कोई चुरा नहीं सकता कभी ||
‘कामयाबी पर गुमान’ , ‘शेर-दिल ‘ को भी ‘गुमनामी मे ‘ धक…
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