Home ज़रा सोचो “जिंदगी के छोटे-छोटे सार-गर्भित पल “

“जिंदगी के छोटे-छोटे सार-गर्भित पल “

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[1]

‘तुम्हारे  बिना  मैं  कुछ  नहीं’ ,
‘तुम  हो  तो  कुछ  है ‘,
‘मिल  कर  जीते  हैं  तो’
सारा  संसार  अपना  है ‘|

[2]

‘झूठ’  को  कितना  भी ‘सत्य’  साबित  करने  का  प्रयास  करो ‘,
‘एक  दिन  पर्दाफाश  हो  जाएगा’ ,’तुम  कुछ  नहीं  कर  पाओगे ‘|

[3]

‘ भगवान  के  सामने  सिर  झुकाना’ ‘उसकी  भक्ति  का  एक  छोटा  स्वरूप  ही  मानो ‘,
‘इच्छा-रहित  हो  कर  उसके  सामने  सिर  झुकाना’ ‘तुम्हारी  प्रेम  की  अभिव्यक्ति  है’ |

[4]

‘अनेकों  धार्मिक  ग्रंथ  अच्छी  बातों  से  भरे   पड़े   हैं ‘,
‘उन्हें पढ़ने मात्र  से  धार्मिक व्यक्ति नहीं  बन  जाओगे’|

[5]

‘परमात्मा  ने  सभी  ताकतों  से  साथ दुनियाँ  में  भेजा  है  तुझे’,
‘तुम्ही  हो  जो  आँख  पर  पट्टी  बांध  कर कहते  हो -‘अंधेरा  है’|

[6]

‘गरीब  पर  लाठी  चला  कर  शायद  बहुत बड़ा  तीर  चला  दिया’,
‘ शेर  को  थप्पड़  लगा  देते   तो  मर्दानगी  समझ   जाते   तेरी ‘

[7]

‘रिस्तेदार  होने  से  रिस्ते  नहीं  बनते’ ,’ निभाने  पड़ते  हैं ,’
‘दिल से  निभाए रिस्ते  आखरी सांस तक  चलते  हैं जनाब ‘|

[8]

‘ज्ञानानन्द’ और  ‘ रायचंद ‘  घर  घर  में  बिराजमान  हैं ‘,
‘करोडीमल’  भी  कम  नहीं ,’मनसुख  लाल’ नदारत  हैं ‘|

[9]

‘ हर  प्राणी  में  कोई  न   कोई  गुण  जरूर   होता   है ‘,
‘फिर छोटे-बड़े का  भेद-भाव’ ,’बेमानी नहीं तो  और क्या  है ‘?

[10]

‘ताजमहल  कभी  मुमताज़  ने  नहीं  देखा’ ,
‘हम  आज  भी  देखते  हैं ‘,
‘बादशाह  को  मुहब्बत  की  कद्र  थी’ ,
‘अमर  कर  के  बिदा  हुआ ‘|

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