‘यदि चेतना का दीप बुझ गया’ , तो ‘ पाप जुड़ जाएंगे सभी ‘,
‘अपना विवेक जाग्रत करो ‘ , ‘मन शांत होता चला जाएगा ‘,
‘ज्ञान-दीप जलते ही’ ‘पाप रूपी चोर’ , ‘भीतर प्रवेश नहीं कर पाएगा’ ,
‘हर घड़ी जाग्रत रहे ‘ तो , ‘तुम्हारा मन ही ‘देवलाय बन जाएगा |
‘यदि चेतना का दीप बुझ गया’ , तो ‘ पाप जुड़ जाएंगे सभी ‘,
‘अपना विवेक जाग्रत करो ‘ , ‘मन शांत होता चला जाएगा ‘,
‘ज्ञान-दीप जलते ही’ ‘पाप रूपी चोर’ , ‘भीतर प्रवेश नहीं कर पाएगा’ ,
‘हर घड़ी जाग्रत रहे ‘ तो , ‘तुम्हारा मन ही ‘देवलाय बन जाएगा |
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