एक व्यक्ति बहुत परेशान था । – उसके दोस्त ने उसे सलाह दी कि
कृष्ण भगवान की पूजा शुरू कर दो ।
उसने एक कृष्ण भगवान की मूर्ति घर ला कर उसकी पूजा करना शुरू कर दी ।
कई साल बीत गए लेकिन … कोई लाभ नहीं हुआ ।
एक दूसरे मित्र ने कहा कि ‘ तू काली माँ की पूजा कर , जरूर तुम्हारे दुख दूर होंगे ‘।
अगले ही दिन वो एक काली माँ की मूर्ति घर ले आया ।
कृष्ण भगवान की मूर्ति मंदिर के ऊपर बने एक टांड पर रख दी और
काली माँ की मूर्ति मंदिर में रख कर पूजा शुरू कर दी ।
कई दिन बाद उसके दिमाग में ख्याल आया कि जो अगरबत्ती , धूपबत्ती काली जी को जलाता हूँ , उसे तो श्री कृष्ण जी भी सूँघते होंगे ।
‘ऐसा करता हूँ कि श्री कृष्ण का मुँह बाँध देता हूँ ‘ ।
जैसे ही वो ऊपर चढ़ कर श्री कृष्ण का मुँह बाँधने लगा कृष्ण भगवान ने उसका हाथ पकड़ लिया । वो हैरान रह गया और भगवान से पूछा –
‘इतने वर्षों से पूजा कर रहा था तब नहीं आए ! आज कैसे प्रकट हो गए ‘ ?
भगवान श्री कृष्ण ने समझाते हुए कहा ,
“आज तक तू एक मूर्ति समझ कर मेरी पूजा करता था ।
किन्तु आज तुम्हें एहसास हुआ कि “कृष्ण साँस ले रहा है “
बस मैं आ गया ।”
भगवान सिर्फ एक मूर्ति नहीं हैं , एक भावना हैं 👏🙏
वो कहते है ना..
“जाकी रही भावना जैसी , प्रभु मूरत देखि तिन तैसी ।