[1]
‘बात का ‘लहजा शिकायती, ‘खुद ढलने के बजाय, दूसरे को अपने अनुसार ढालने की आदत,
‘अस्थिर दिमाग वाले हो , ‘ अकेलेपन के साथी हो , ‘ बोरियत से परेशान ‘ बंदे ‘ हो ‘ !
[2]
“दिल दुखाने का बुरा क्यों मानते हो” ,” दुनिया आनी जानी है “,
“ज्यादा मीठे फल देने वाले पेड़ों पर “, “पत्थर बरसाए जाते हैं ” |
[3]
” घर परिवार का वजूद !
‘अपनी खुशी स्वयं ढूंढनी पड़ती है , खुशी कौन नहीं चाहता ,?
‘खुशी’ सुनते ही बुझे- बेजान चेहरों पर रौनक दिखाई देती है,
‘घर परिवार समाज का अंग है,जहां व्यक्ति का जीवन आरंभ होता है,
‘तुम :कितने भी परेशान/ व्यस्त हो, घर आकर ही शांति मिलती है’ !
[4]
‘बच्चों को पैसे की कीमत का एहसास कराना , बेहद जरूरी है ,
‘उन्हें बताओ ! मेहनत से कमाया धन, कैसे और कब खर्च करना चाहिए,
‘स्पष्ट नजरिया दे, पैसा कैसे कमाया जाए और कौन योगदान करता है ?
‘आमदनी अनुसार सीमित दायरे में खर्च करने की आदत से परिचय कराओ!
[5]
‘आज तो आज है, ‘कल किसने देखा है बता ?
‘आज ही हंस लो, खुशियां मना लो , झूम लो ‘!
‘आज ही हंस लो, खुशियां मना लो , झूम लो ‘!
[6]
‘सदा ‘अपने बारे में’ बोलने की बजाय, ‘दूसरों को’ ‘बोलने का मौका दीजिए,
‘प्रशंसा’ चाहते हो तो दूसरों की ‘खुलकर प्रशंसा” करना भी ‘ सीख ‘ लो’ !
‘प्रशंसा’ चाहते हो तो दूसरों की ‘खुलकर प्रशंसा” करना भी ‘ सीख ‘ लो’ !
[7]
‘अकारण बोलने, झूठ बोलने से बेहतर है, ‘अपने व्यवहार’ में सुधार लाना,
‘बिना सोचे – समझे न बोले, ‘ सिर्फ ‘विषय की जानकारी’ पर ही बोले’ !
‘बिना सोचे – समझे न बोले, ‘ सिर्फ ‘विषय की जानकारी’ पर ही बोले’ !
[8]
‘जहां का प्यार झूठा,’ प्यार का व्यवहार झूठा, मतलब का संसार,
‘काम बना मतलब गया, ‘तू कौन कहां से आया, बस इतना बता’?
‘काम बना मतलब गया, ‘तू कौन कहां से आया, बस इतना बता’?
[9]
‘जो पुरुष ‘औरत की इज्जत’ करता है, वही समदर्शी कहाता है ,
‘जिस घर में नारी का सम्मान है , सही विकास भी करता है,
‘बहु को बेटी’ और ‘बेटी को बेटा’ समझने की परंपरा डालो,
‘जो ‘तन’ उज्जवल, मधु, शिष्ट-आचरण के खजाने से भरपूर हों |