Home ज़रा सोचो “जरा सोचो ” |कुछ ज्वलंत प्रश्न जीवन में बड़े महत्वपूर्ण हैं ” गहराई से समझिए ‘ |

“जरा सोचो ” |कुछ ज्वलंत प्रश्न जीवन में बड़े महत्वपूर्ण हैं ” गहराई से समझिए ‘ |

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जरा सोचो
‘मन  में ‘बेमतलब  के  विचार’ मकान  में ‘बेमतलब  का  सामान ‘,
‘सिर्फ  ‘हानि’  पहुंचाते  हैं, उनकी  ‘सफाई’ करते  रहना  जरूरी  है’ !

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जरा सोचो
‘यदि  हम ‘सब्र  और  सहनशीलता’ के  परिचायक  हैं ,
‘कमजोरी’  का  एहसास  ही  नहीं  होगा ,
‘यह  ताकत’  हर  किसी  की  ‘झोली’  में  नहीं  पड़ती,
‘ शांत चित्त’  ही  उसे ‘ वरण ‘  करते  हैं’ !
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 जरा सोचो
‘यारब ! बता  क्या  बिल्कुल ‘भुला’  दिया ?’भूले  बिसरे’ भी ‘याद’  नहीं  आते,
‘ तेरे  आंगन  के ‘ गुलाब ‘  हैं  हम  भी , ‘ ज्यादा  बेरुखी ‘  अच्छी  नहीं  होती’ !
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जरा सोचो
‘मुस्कुराने’  का  प्रयास  मत  करो ,’ सिर्फ ‘मुस्कुराया”  करो,
‘दुनिया ‘मुट्ठी’  में  हो  जाएगी, ‘चाहे  जब  ‘आजमा’  लेना’ !
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जरा सोचो
‘ जो  मन  में  ‘ विचार ‘  उठता  है , ‘ शब्दों ‘  में  पिरो  देता  हूं,
‘आप ‘अच्छा या बुरा’ कुछ भी समझे,’सिर माथे’ पर है जनाब’ !
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जरा सोचो
‘ उद्दंडता ‘  से  उत्प्रेरित  होकर , ‘ सुकर्म ‘ से  ‘ पीछे ‘  मत  हटो,
‘उसके पास” सब का हिसाब है, ‘फल’ मिलना ‘निश्चित’ समझ’ !
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जरा सोचो
‘जो अपनी  ‘ हैसियत ‘ देखकर  ‘ कदम ‘ आगे  बढ़ाता  है,
‘ ठोकर’ नहीं  खाता, ‘कामयाबी’  भी  कदम ‘चूम’ लेती  है’ !
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जरा सोचो
‘ ख्वाहिशों ‘ को  कम  करते  ही ,’ जीना  सीख ‘  जाएंगे  सभी  प्राणी,
‘उचित कमाई’  के पश्चात खुद के  लिए भी,’समय’ निकालिए जनाब’ !
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जरा सोचो
‘ जिंदगी  ‘हंसने- रुलाने ‘  के  दोनों  काम  करती  है,
‘कुछ ऐसा करो ‘हंसते ही मिलो’ ‘रोना’ नसीब ही ना हो’ !
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जरा सोचो
‘प्रभु ! ‘सही रास्ते’ पर चलाए रखना, ‘भटक’ न जाऊं कहीं ,
‘मेरे लिखे शब्द’ किसी को न चुभे ,’रहम’ करना मुझ पर’ !
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